इन दिनों 2012 की चिंता के साथ एक बार फिर नास्त्रेदमस लाइम लाइट में आ चुके हैं। बहुत छोटा था तब नास्त्रेदमस की पुस्तक मेरी माताजी खरीद कर लाई थीं। उन्हें पक्का विश्वास था कि दुनिया जल्दी ही खत्म हो जाएगी। और नास्त्रेदमस भी यही कह रहे थे। मेरी माताजी के इस विश्वास के कई कारण थे लेकिन नास्त्रेदमस के पास कुछ जुदा कारण हैं। किताब के मुखपृष्ठ पर नास्त्रेदमस का अपने क्रिस्टल के साथ इतना आकर्षक फोटो था कि मैं घण्टों तक केवल फोटो को ही देखता रहता था। वह मूल किताब का हिन्दी अनुवाद था।
मुझे बहुत अधिक समझ नहीं थी लेकिन इतना उसमें स्पष्ट था कि नास्त्रेदमस ने दुनिया का भविष्य बहुत साल पहले ही लिख दिया है। और वह जल्द ही खत्म भी होने वाली है। अलग अलग सूत्रों का विश्लेषण करके बताया गया था कि इतिहास में अब तक जो घटनाएं हुई हैं उन्हें नास्त्रेदमस ने अपने क्रिस्टल बॉल में देख लिया था और उलझी हुई भाषा में लिख दिया था। ताकि उसे तत्काल कोई परेशान न करे। उसमें यह भी बताया गया था कि अब वे भविष्यवाणियां सच साबित हो रही हैं।
इसके बाद कई साल तक नास्त्रेदमस का नाम सुनाई नहीं दिया। जब मैं लाल किताब पढ़ रहा था तो उसकी भाषा और नास्त्रेदमस की चौपाइयों में कई समानताएं दिखाई दी। भाषा के दृष्टिकोण से। तब नास्त्रदेमस की दोबारा याद आई। ढूंढ-ढांढकर किताब निकाली और उसे फिर पढ़ गया। शेर और चीते की लड़ाई का एक दृश्य को अब भी ऐसा जेहन में बैठा है कि लगता है लड़ाई मेरे सामने हुई थी। उन दिनों मैंने कई लोगों के समक्ष नास्त्रेदमस की बात की। लेकिन उस दौर में किसी को भी मेरी बातों में इंट्रेस्ट नहीं आया। मैं किनारे हो गया।
फिर इराक पर हुए हमले और इराक के पास जैविक हथियारों के जखीरे की खबरों के बाद एक बार फिर नास्त्रदेमस का नाम चमका। कई किताबें बाजार में आ गई। घोषणा हुई कि वाईटूके वास्तव में एक सिंबल है जो बताता है कि दुनिया इक्कीसवीं सदी के दर्शन ही नहीं कर पाएगी। कई लोग बहुत चिंतित थे। बीकानेर में जहां हर समय अलमस्त मौसम रहता है कई लोगों के चेहरे पर प्रलय का भय दिखाई देने लगा। लोग पाप और पुण्य की बातें करने लगे। हालांकि बैकग्राउंड में जैविक हथियारों के काम करने के तरीके पर भी बहस चल रही होती लेकिन मुद्दा वही था कि दुनिया तो खत्म हो जाएगी।
इसके बाद अब तीसरा दौर देख रहा हूं। पिछले साल अमरीका बुरी तरह मंदी की चपेट में आ गया। लोगों के घर बिक गए, नौकरियां छूट गई और धंधे बंद हो गए। पूरी तरह ऑटोमैटिक घरों में रहने वाले लोग कारों में रहने और सोने लगे। यानि सोसायटी से कटने के बाद अब सुविधाओं से भी कट चुके लोगों के पास जीने का कोई कारण नहीं बचा। ऐसे में एक बार फिर नास्त्रेदमस आ गए हैं। इस बार आए हैं 2012 की भविष्यवाणी लेकर। इसमें दुनिया में आज तक हुए बदलावों और मशीनीकरण पर खुलकर चर्चा की गई है। देश, समाज और उपलब्ध संसाधनों के तेजी से हो रहे क्षय पर चर्चा है। और साथ में सवाल खड़ा किया गया है कि क्या वास्तव में नास्त्रदेमस के अनुसार वर्ष 2012 में दुनिया खत्म हो जाएगी।
यह भूमिका समझिए अगली पोस्ट में चर्चा करूंगा कि क्यों ऐसा होता है कि जब दुनिया में संकट आता है तभी नास्त्रेदमस याद आते हैं। और मुझे नास्त्रेदमस की चौपाइयों में क्या दिखता है।
चित्र गूगल सर्च से साभार
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जवाब देंहटाएंHindi bookmarking and social networking sites gives more visitors and great traffic to your blog.
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रोचक है यह किताब मैंने भी कई बार पढ़ी है ..इन्तजार रहेगा अगली कड़ी का
जवाब देंहटाएंrochak post
जवाब देंहटाएंagli post ka intzaar rahega
venus kesari
सिद्धार्थ जी,
जवाब देंहटाएंनास्त्रेदमस की किताब मैंने भी विभिन्न रूपों में बिकते देखी है - कभी खरीदी नहीं. हाँ यह जानने की उत्सुकता ज़रूर है की मूल पुस्तक किस भाषा में और कब लिखी गयी थी. जानकारी दें तो अच्छा हो.
मेरी टिप्पणी कहाँ गई जी?
जवाब देंहटाएंया प्रश्न उठाने की अनुमति नहीं है? :)
संजय जी आपकी टिप्पणी का इंतजार कर रहा हूं। अगर सवाल समझ में आया तो जवाब भी देने की कोशिश करूंगा। थीम के कारण किसी भी पाठक को समस्या आ रही हो तो मैं माफी चाहता हूं।
जवाब देंहटाएंनास्त्रेदमस की भविष्यवाणियाँ जलेबी जैसी गोल गोल भाषा में लिखी हुई है, जहाँ से चाहो पकड़ कर कह दो यह रहा सिरा...आपने यह किताब पढी ही है. इसमें कथित रूप से इन्दीरा गाँधी व राजीव के बारे में लिखा है. शताब्दी पुरूष कहे गए गाँधी के बारे में कहीं नहीं लिखा...यह कैसे सम्भव है? या नेहरू-गाँधी परिवार के प्रसंशक ने अनुवाद किया है? भाषा ही ऐसी है कि जिससे चाहो जोड़ दो....यही राज है भविष्यवाणियों के सच होने का भी.
जवाब देंहटाएंनास्त्रेदमस की किताब सिर्फ और सिर्फ एक वैचारिक उपज है |
जवाब देंहटाएंहिन्दू शास्त्र का आधार लिया जाय तो
अभी तक भगवान् का कालकी (कलयुग का)अवतार ही नहीं हुआ,
कम से कम भगवान् का कालकी अवतार तक
यह वसुधा (पृथ्वी ) देवी श्री भगवन् की प्रतीक्षा तो करेंगी ही |
जैसे यमुना जी ने किया था श्रीकृष्ण के (चरण स्पर्श के लिए)लिए |
अतः पाठक निश्चिंत हो जाय की २०१२ में दुनिया समाप्त हो जायेगी |
बेनामी जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंहो सकता है आप सही सोच रहे हों लेकिन आपकी बात केवल आस्था के आधार पर ही सही लगती है। जिस तरह नास्त्रेदमस की चौपाइयों का अर्थ निकाला जा रहा है उसके सामने आपकी दलील बहुत सामान्य लगती है। इसके बावजूद यह इस अर्थों में ठोस है कि
ईश्वर इतना क्रूर नहीं हो सकता कि अपने दर्शन दिए बिना ही दुनिया को खत्म कर दे।
इसके बावजूद नास्त्रेदमस के समर्थकों ने इतने ठोस प्रमाण प्रस्तुत किए हैं कि उनका तोड़ निकालने के लिए भी उसी स्तर के लॉजिक देने होंगे।
वैसे कल्कि के चार-पांच अवतार तो अभी भारत में घूम ही रहे हैं। चैनलों पर आते हैं लोगों को आशीर्वाद देते हैं और खूब भोग करते हैं। :)
तो क्या तैयार रहें दुनिया के साथ खत्म होने के लिए... या उन कल्कियों को ही खत्म कर दें... :)
श्रीमान सिद्धार्थ जी नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंजैसा की आप खुद ही ज्योतिष के जानकार हैं ,
जहाँ तक मुझे ज्ञात है इस विश्व में सबसे सटीक और प्रबल भारत का ज्योतिष है
जो व्यक्ति के जन्म के बाद से एक एक दिन की दिनचर्या व मृतुकाल और मृतुस्थान भी बता देता है |
आपकी ज्योतिषीय गड़ना के अनुसार पृथ्वी का क्या भविष्य है उसका मृतुकाल कब निश्चित है
(अगर नास्त्रेदमस के आधार को दरकिनार कर दिया जे तो )
maine yah kitaab padhi hai. samaya ke sambhandh me kuch CONFUSION hai.
जवाब देंहटाएंyeah jo app log bol rahey hoo yeah saab 1400 sal pehle pak kitab "Quran" Main keh diya gya ki jaab Qyamat aygi to suraj Sava neza(bhala) nichey aa jayega Matlab kuch 6.5 feet yeah ajj nastre damas or scintist bata rahey hai itney time baad sare planet ek raw main hoongye or asia hooga waisa hooga jasia ka suna hai nastre damas ek scintist they or unhooney bhoot sari bashaoo ko parda matlab "Quran bhi hoo sakta hai parda hoo"
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