जब से ज्योतिष विषय का झण्डा उठाया तब से मेरे आस-पास के अधिकांश विचारकों ने यह सवाल हमेशा मेरे सामने खड़ा किया कि क्या आवश्यकता है ज्योतिष की जबकि लॉजिक यह कहता है कि जैसा कर्म करोगे वैसे ही फल मिलेंगे। इसके साथ ही दूसरा सवाल यह कि जब सबकुछ पूर्व निर्धारित है तो तुम्हारा रोल शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता है।
दोनों की बातें मेरे इस पेशे को खत्म कर देने वाली थीं। लेकिन केवल उन्हीं लोगों के समक्ष जो कि इन बातों को इसी अंदाज में समझ चुके थे। बाकी लोगों को अब भी लगता है कि उनकी समस्याओं का समाधान मेरे पास है। फिर भी एक विद्यार्थी होने के नाते यह सवाल मेरे सामने बड़ी स्पष्टता से रहा कि कर्म ही हमारी कुण्डली है या भाग्य पहले से लिखा जा चुका है। अगर भाग्य पहले से तय नहीं है तो क्या कर्म से कुण्डली को बदला जा सकता है।
इसी क्रम में पिछले दिनों कुरुक्षेत्र के हितेश शर्माजी ने एक बार फिर मुझसे यही सवाल दोहराया कि
'Kya Bhagya vaastav mein he karm se bada hota hai aur kya jyotis se bhagya ko badla ja sakta hai.'
इस सवाल का स्पष्ट जवाब है पता नहीं।
तो मैं यहां क्या कर रहा हूं। इसके जवाब में मैं यह कह सकता हूं कि जो लोग अपने कर्म से भाग्य को बदलने की सोच रहे हैं मैं उनकी मदद कर रहा हूं। एक ज्योतिषी किसी जातक की क्या मदद कर सकता है इसका बहुत सटीक वर्णन दक्षिण के प्रसिद्ध ज्योतिषी के.एस. कृष्णामूर्ति अपनी पुस्तक फंडामेंटल प्रिंसीपल ऑफ एस्ट्रोलॉजी में कर चुके हैं। उनके अनुसार नदी में नाव खेते हुए जब एक नाविक किनारा नहीं मिलने पर हारने लगता है तो उसके पास से गुजर रहा एक अन्य नाविक उसे बताता है कि आगे इतनी दूरी पर उथला किनारा या जमीन मिल जाएगी। दूसरा नाविक ज्योतिषी हो सकता है।
मुझे भी अधिकांश मामलों में अपना रोल ऐसा ही लगता है। जिसे जो भोगना है वह तो भागेगा ही, लेकिन यह भोग कब खत्म होगा या कैसे मुक्ति मिल सकती है इस बारे में मैं संकेत मात्र दे सकता हूं। न तो किसी और का दुर्भाग्य जी सकता हूं न ही किसी को मोक्ष दिला सकता हूं।
न तो किसी और का दुर्भाग्य जी सकता हूं न ही किसी को मोक्ष दिला सकता हूं।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बात है |
आप की बात सही है इस तरह कस से कम निराश आदमी को कोई आसा तो जगाई जा सकती है।
जवाब देंहटाएंकर्म बड़ा है इस में दो राय नहीं..लेकिन भाग्य का साथ भी जरुरी है.ज्योतिष सिर्फ सितारों की चाल बताता है जिस से इंसान अपने कर्मो को अनुकूल समय पर कर के अपने लक्ष्य को पाने में आसानी से सफल हो सके.[और यह भी व्यक्ति के विश्वास पर निर्भर है.कहते हैं --मानो तो पत्थर में भी भगवान दिख जाता है.]
जवाब देंहटाएंपत्थर में भगवान पर एक किस्सा याद आ गया अगली पोस्ट में बताउंगा।
जवाब देंहटाएंAdhyatm me do hi marg Hai Sankalp Aur Samarpan jiase Bhaktimarg Aur Yogmarg, magar yatra jaruri hain agar koi purn rupen bhi bhagyavadi ho jaye to PAAR LAG SAKTA HAI magar hum short cut khojte hai suvidhnusar KARMVADI AUR BHAGYAVADI BANTE HAI HAMARA PAKHAND HI HAMARI SAMASHYA HAI. Jyotishi Vidhya Margdarshak ki tarah hain jo bhatkaon se bachati hai. sukhi nadi me barsaat ke baad jo paani ka pravah hota hain usi prakar hamara bhagya hain janm ke sath hi hamre purvjivan ka jo pravah raha ho, vahi is janam par bhi prabhav dalta hai. Ab kundli dekhkar hi nirnay liya ja sakta hai ki JATAK Bhagya Vadi Hain ya karam Vadi aur yahi vichar jivan ki gatidisha tay karte hai.
जवाब देंहटाएंkya mujha bhagya vdi par gankari mil sakthi ha mujha bhagvadi par gankari chiya karam vadi par nahi
जवाब देंहटाएंWant to know the truth about कर्म बड़ा या भाग्य?
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Sanjay Sharma
Author कर्म बड़ा या भाग्य?
संजय जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंशीघ्र ही आपके पास अच्छी जानकारी होगी शेयर करने के लिए... मैं भी उत्सुक रहता हूं...
मेरा मोबाइल नम्बर 9413156400 है।
रविवार के दिन ही आपसे बात कर पाउंगा...
In Geeta Bhagwan Shri Krishan ne Kaha hai ki Purv Janam ke karmo ke anusar es janam me paristhitiya milti hai, lekin aap karam karne me azad ho, jaise aap par aarthik sankat aata hai to aap swatantra hai ki mehnat se us haalat se bahar aaye ya chori wagarah karke yadi chori karte hai to agle janam me phir se es galat karam ke anusar paristhiti ka samna karna parega.
जवाब देंहटाएंFrom: Lalit Mohan