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गुरुवार, अप्रैल 02, 2009

घोड़े की नाल और तीन दुर्घटनाएं

यह किस्‍सा अधिक पुराना नहीं है। मेरे मामाजी जो जयपुर में रहते हैं ने एक दिन मुझे फोन किया और बताया कि उन्‍हें आज घोड़े की नाल रास्‍ते में पड़ी मिली है। उन्‍हें उसे अपने पास रखनी चाहिए या नहीं। मैं कहीं रास्‍ते में था सो किनारे रुका और सोचकर बताया कि चूंकि आपकी कुण्‍डली तुला लग्‍न की है और शनि पंचम भाव में अपनी राशि में बैठा है तो आपकी कुण्‍डली का कारक ग्रह भी शनि ही हुआ। रास्‍ते में घोड़े की नाल मिली है तो आपके काम की ही होगी, इसलिए यह आपको रख ही लेनी चाहिए। 

मैं उन्‍हें नाल रखने का सुझाव दिया इसके पीछे दो कारण थे। पहला तो यह कि उनकी कुण्‍डली के कारक ग्रह को यह वस्‍तु मजबूत कर सकती है। कर सकती है यानि जरूरी नहीं कि करे ही लेकिन नुकसान नहीं करेगी यह तय था। दूसरा कारण यह कि नाल मिलने के बाद मुझे पूछा है यानि वे रखने का मूड बना चुके हैं। चूंकि अब नाल उनकी आस्‍था से जुड़ चुकी थी सो मैंने उन्‍हें रखने की सलाह दी। अगर नहीं रखनी होती तो वे उसे सड़क पर पड़ी देखकर ही आगे निकल जाते और उठा भी लेते तो वापस फेंक देते। अब तक वे उसे उठा भी चुके थे और उसके बारे में कुछ सोच भी चुके थे। यानि चेतना का एक हिस्‍सा उस नाल से जुड़ चुका था। अब इसे फेंकने का मतलब था कि चेतना में से कुछ जाया करना। 

जैसे ही मैंने उन्‍हें कहा कि उन्‍हें नाल रख लेनी चाहिए उन्‍होंने कहा कि नाल मिलने के बाद पिछले पंद्रह मिनट में वे तीन दुर्घटनाओं का शिकार होते बचे हैं। एक बार बस से, एक बार कार से और आखिरी बार लहराते आ रहे स्‍कूटर ने उनको टक्‍कर मारी लेकिन वे खुद बच गए। एक के बाद एक तीन झटके लगने के बाद मामाजी कुछ हिल गए थे सो मुझे फोन किया था। 

अब मेरे सामने यह धर्मसंकट था कि मैं उन्‍हें नाल रखने के लिए कह चुका था सो मना नहीं कर सकता था और दुर्घटना की परिस्थितियां बनने की बात सुनकर मैं भी एकबारगी घबरा गया। किसी और के साथ ऐसी घटना हो तो संयत बना रहना आसान होता है लेकिन मेरे मामाजी मेरे आदर्श भी रहे हैं। सो उनके लिए इस तरह सोचना इतना आसान नहीं था। फिर भी मैंने दोबारा सोचा और निर्णय किया कि शनि की चीज तुला लग्‍न के जातक के लिए किसी भी सूरत में खराब नहीं होनी चाहिए। 

मैंने दोबारा वही उत्‍तर दोहराया कि नाल आपके लिए ठीक है आप इसे रख सकते हैं। दुर्घटनाओं की संभावना बनना संयोग हो सकता है। अब मामाजी भी कांफिडेंस में आ चुके थे। उन्‍होंने बताया कि उनके एक सहयोगी उनके साथ ही थे। और वे लगातार नाल को फेंकने के लिए जोर दे रहे थे। मेरे जवाब के बाद मामाजी ने उन्‍हें जवाब दिया कि हो सकता है कि आज होने वाली दुर्घटनाएं पूर्व में ही तय हो और इस नाल से हम बार बार बच रहे हों। ऐसा कम ही हुआ है कि दुर्घटना की जैसी परिस्थितियां से हम गुजरे हैं उनसे लोग बचें हो। ऐसे में नाल तो हमें बचाने वाली सिद्ध हो रही है। 

अब बात उनके सहयोगी को भी समझ में आ गई। पिछले दिनों जयपुर गया तो नाल उनके पूजाघर में रखी हुई दिखाई दी। 


इस घटना से एक सबक पक्‍का हो गया कि परिस्थितियों को देखने का हमारा अंदाज हमारे अच्‍छे और बुरे समय को बुलाता है।  आप भी घटनाओं को एक दूसरे दृष्टिकोण से देखेंगे तो आप पाएंगे कि जिसे आप खराब समय बता रहे हैं उस दौरान सीखने के अवसर अधिक आ रहे हैं। 

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी बातों से सहमत हूँ. खराब समय को सीखने का समय मानना ही सकारात्मक है.

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  2. इस घटना ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया.......

    Regards

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  3. वास्‍तव में बुरा समय लोगों को कुछ सीखाने के लिए ही आता है ... इसलिए इसे खुशी खुशी स्‍वीकार करना चाहिए।

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  4. बुरे समय के बारे में वो ही जान सकता है, जिसने भुगता है। मेरा मानना है कि बुरे समय के बारे में सोचना ही बुरा है। जिंदगी चार दिन की है, सिर्फ हंसी पल को ही सहेज कर रखो। ज्‍यादा हो गया.......

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  5. आप के विचार सही है, लेकिन नाल से क्या समबन्ध ?

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  6. यही कि नाल हो या ना हो भाग्‍य पर कोई फर्क नहीं पड़ता अगर हमारी मानसिक स्थिति ठीक है तो...

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  7. kya aisha bhi ho sakta hai ? Kafi vicharaatam Ghatana hai . main k baat pocchna chata hoo . Kya Vakai kisi ko Mila huwa NAaal Kisi k liye Anukul nahi hota hai kya ? Plz tell me
    Rajendermehar@gmail.com

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  8. aapkaa vishleshan adbhut hai aur ismai darshniktaa aur vyabhaar kushaltaa ka bhee samanvay hai.

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  9. Ghode ki naal ko pravesh dwar per kaise lagaya jaye. sidha "U" ya ulta kripaya bataye.

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