The Astrology Online

शुक्रवार, अप्रैल 17, 2009

Mangal dosh ? Astrologically it does not exist :)

मांगलिक होना विशिष्‍टता है, दोष नहीं

male_sign
आमतौर पर मांगलिक (Manglik) शब्‍द का स्‍वर घरों में तब सुनाई देता है जब कन्‍याएं शादी के योग्‍य नजर आने लगती हैं। कन्‍या मांगलिक हो तो मांगलिक लड़का ढूंढना पड़ता है और मांगलिक न हो तो भी लड़का तो ढूंढना ही पड़ता है। कई बार कुण्‍डली मिलान पर बात आकर अटक जाती है। कभी लड़की मांगलिक निकलती है तो कभी लड़का। इसके चलते कई अच्‍छे संबंध बनते-बनते रह जाते हैं। 

       जैसा कि लोगों के मुंह से सुनता हूं कि मांगलिक दोष (Dosh) होता है और इसे कन्‍या में तो होना ही नहीं चाहिए। वर में हो तो चल जाता है लेकिन कन्‍या में मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन को खराब कर देता है। मैं खुद भी इस थ्‍योरी को मानता हूं। इसलिए नहीं कि मैं पुरातनपंथी हूं बल्कि इसलिए कि मैं कल्‍पना कर सकता हूं कि एक मांगलिक लड़की की एक गैर मांगलिक लड़के साथ शादी कर दी जाए तो कन्‍या, वर पर हर तरह से हावी रहेगी। 

                   अब अगर ऐसा होता है तो वैवाहिक जीवन (Married life) तो खराब होना ही है। इसके विपरीत वर मांगलिक हो और कन्‍या मांगलिक न हो तो वर हावी रहेगा और वैवाहिक जीवन ठीक चलता रहेगा। हो सकता है भारतीय सभ्‍यता की यह पुराने समय में तो ठीक रही होगी लेकिन आज के परिपेक्ष्‍य में देखा जाए तो पति और पत्‍नी (Husband and wife) दोनों ही बराबरी के हकदार हैं। सो या तो दोनों ही मांगलिक हों या दोनों ही गैर मांगलिक। 

                  इसमें अर्थ इतना ही है कि आपस की लय (Harmony) बनी रहे। क्‍या जरूरत है कि रिश्‍ते में एक पक्ष हावी रहे। हो सकता है कुण्‍डली मिलान करने वाले बहुत से ज्‍योतिषियों (Astrologers) को इस हार्मोनी के बारे में जानकारी न हो लेकिन वे इस आधार पर बन रहे बेमेल जोड़े को जाने-अनजाने रोकने की कोशिश करते हैं। गंभीरता के कुण्‍डली मिलान कराने वाले अधिकांश परिवारों में इस कारण तलाक (Divorce) के मामले भी बहुत कम होते हैं। 

अब दूसरा पक्ष यानि मांगलिक होने का अर्थ क्‍या है ? 

कोई जातक चाहे वह स्‍त्री हो या पुरुष उसके मांगलिक होने का अर्थ है कि उसकी कुण्‍डली में मंगल (Mars) अपनी प्रभावी स्थिति में है। शादी के लिए मंगल को जिन स्‍थानों पर देखा जाता है वे लग्‍न, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव हैं। इनमें से केवल आठवां और बारहवां भाव सामान्‍य तौर पर खराब माना जाता है। सामान्‍य तौर का अर्थ है कि विशेष परिस्थितियों में इन स्‍थानों पर बैठा मंगल भी अच्‍छे परिणाम दे सकता है। तो लग्‍न का मंगल व्‍यक्ति की व्‍यक्तित्‍व (Persona) को बहुत अधिक तीक्ष्‍ण बना देता है, चौथे का मंगल जातक को काफी कठिन पारिवारिक पृष्‍ठभूमि देता है।

                  सातवें स्‍थान का मंगल जातक को साथी या सहयोगी के प्रति कठोर बनाता है। आठवें और बारहवें स्‍थान का मंगल आयु और शारीरिक क्षमताओं (Physical capabilities) को प्रभावित करता है। इन स्‍थानों पर बैठा मंगल यदि अच्‍छे प्रभाव में है तो जातक के व्‍यवहार में मंगल के अच्‍छे गुण आएंगे और खराब प्रभाव होने पर खराब गुण आएंगे। जैसे एक आला दर्जे का सर्जन भी मांगलिक हो सकता है और एक डाकू भी। यह बहुत सामान्‍य उदाहरण है। यही स्थिति उच्‍च स्‍तरीय मैनेजर और सेना के अधिकारी में भी देखी जा सकती है जिसे कि कठोर निर्णय लेने हैं। 

               मांगलिक व्‍यक्ति देखने में ललासी वाले मुख का (Reddish), कठोर निर्णय लेने वाला, कठोर वचन बोलने वाला, लगातार काम करने वाला, विपरीत लिंग के प्रति कम आकर्षित होने वाला, प्‍लान (Plan) बनाकर काम करने वाला, कठोर अनुशासन बनाने और उसे फॉलो करने वाला, एक बार जिस काम में जुटे उसे अंत तक करने वाला, नए अनजाने कामों को शीघ्रता से हाथ में लेने वाला और लड़ाई से नहीं घबराने वाला (Fearless warrior) होता है। इन्‍हीं विशेषताओं के कारण गैर मांगलिक व्‍यक्ति अधिक देर तक मांगलिक के सानिध्‍य में नहीं रह पाता। 

                  इन विशेषताओं और इसी के कारण पैदा हुई बाध्‍यताओं के कारण एक मांगलिक व्‍यक्ति की गैर मांगलिक से निभ नहीं पाती है। इस कारण दोनों को अलग-अलग करने की कोशिश की जाती है। सेना में प्रवेश लेने वाले अधिकांश लोग किसी न किसी कारण से मांगलिक असर वाले होते हैं। आपने भी गौर किया होगा कि सिविलियन्‍स से सेना को अलग रखा जाता है। कमोबेश इसका कारण यह भी होता है कि जिस डिसिप्लिन को सेना फॉलो करती है उसे आम आदमी समझ नहीं सकता और आम आदमी की गतिविधियों को सेना का जवान समझ नहीं पाता। 

तार्किक क्षमताएं (Logiacal approach)

मांगलिक लोगों की यह एक और बड़ी खासियत होती है कि उनकी किसी भी काम के प्रति बहत लॉजिकल एप्रोच होती है। दुनियादारी में या प्रेम में दो और दो पांच हो सकते हैं लेकिन एक मांगलिक व्‍यक्ति के लिए दो और दो चार ही होंगे। प्‍यार (Love) में भी। इसी कारण किसी कुण्‍डली में मंगल और शुक्र (Venus) की युति जातक को गणितज्ञ भी बना देती है। इसमें लॉजिक और लॉजिक के साथ लग्‍जरी का भाव होता है। 

               आपको ऐसे लोगों का समूह सिलिकॉन वैली (Silicon velly) में दिखाई दे सकता है। ऑस्‍ट्रेलियाई चिंतक एलन पीज (Alen pease) की मानूं तो पुरुष स्त्रियों की तुलना में अधिक लॉजिकल होते हैं। मुझे भी यही लगता है। इसी कारण सिलिकॉन वैली में शादियों की औसत आयु चार वर्ष है। सौ प्रतिशत लॉजिकल पुरुषों और लॉजिक के साथ कॉम्‍प्रोमाइज करने वाली स्त्रियों की अधिक दिनों तक बन नही पाती।

और आखिर में हनुमान चालीसा.. मांगलिक लोगों को यह सहज रूप से प्रिय होती है। 


17 टिप्‍पणियां:

  1. 40 प्रतिशत से अधिक लोग मांगलिक होते हें ... क्‍या इतने लोगों को विशिष्‍ट की श्रेणी में रखा जा सकता है ?

    जवाब देंहटाएं
  2. @ संगीताजी

    अगर ज्‍योतिष को पूर्ण रूप से लिया जाए तो हर जातक विशिष्‍ट है। अब तक पैदा हुए कोई भी दो जातक एक समान नहीं हो सकते। जहां तक मांगलिक होने की बात है वहां मांगलिकों की विशिष्‍टता की बात हो रही है। जातक को मांगलिक होने पर खराब माना जाता है। मेरा कथन उसी बारे में है। उम्‍मीद है आपको इस दृष्टिकोण से मेरी बात उपयुक्‍त लगी हो।

    जवाब देंहटाएं
  3. इसके बारे में ज्‍यादा जानकारी नही है पंडिज जी जैसा बता देते है मान लेते है

    जवाब देंहटाएं
  4. Kanya Lagn(25:31 Degree) main Mangal 5th house (23:24 Degree)main hai. Mangal ki mahadasha start hone vali hai. Samanya phal kya hoga?

    जवाब देंहटाएं
  5. सिद्धार्थ जी, आपने बिल्कुल सही लिखा है...इस विषय में मैं आपसे पूर्णत: सहमत हूं.अगर वास्तव में मंगल इतना ही अहितकारी होता तो इसे मंगल न कहकर इसका नाम अमंगल रखा जाता.वास्तव में मांगलिक दोष,कालसर्प इत्यादि पाखंडियों और अल्पज्ञानियों के दिमाग की उपज मात्र है.जिनकी रचना ही लोगों को भयभीत करके अपना स्वार्थ साधने हेतु की गई है.

    जवाब देंहटाएं
  6. मांगलिक और सेना का सम्बन्ध रोचक है.
    वैसे ,आज कल अधिकतर शादियाँ लॉजिक अप्रोच से ही होती हैं.

    [एक मांगलिक व्‍यक्ति के लिए दो और दो चार ही होंगे। -ऐसी लॉजिक वाले तो Aries aur Capricorn rashiyon wale vyakti भी होते हैं , जरुरी Nahin है की वे भी मांगलिक हों]

    जवाब देंहटाएं
  7. @ अल्‍पनाजी
    मेष और मकर राशि वाले लोग लॉजिकल हो सकते हैं। मांगलिक व्‍यक्ति के लॉजिकल होने से इस बात का नगेशन नहीं हो जाता है। वैसे मेष मंगल के अधिकार की राशि है और मकर में मंगल अपनी सर्वाधिक उच्‍च स्थिति तक पहुंचता है। वैसे राशियों का सामान्‍य स्‍वभाव उन राशियों में स्थित ग्रह से बदल भी जाता है। इसलिए राशियों पर बैट नहीं लगाई जा सकती। मांगलिक होने की विशिष्‍टता यूनीक है जबकि राशि की विशिष्‍टता सापेक्ष है।
    मुझे यह बात ऐसी ही समझ में आई है। :)

    जवाब देंहटाएं
  8. हाँ ,शायद हो सकता है आप की बात सही हो.
    धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  9. मंगल रक्त का कारक होता है। और विवाह का मूल उद्देश्य परिवार बढ़ाना होता है यह आप सब जानते ही हैं। रक्त परिवार बढ़ाने में किस तरह से सहायक होता है यह आप में से कुछ लोग जानते होंगे और कुछ किसी अच्छी साईंस संबंधी वेबसाईट से जान सकते हैं। शायद इन्हीं कारणों से मंगल की कुंडली में विशेष स्थानों पर होने को विवाह में विशेष तौर पर देखा जाता है।

    रही बात पंडितों के कमाने की तो उस पर मैं यह कहना चाहता हूं। पंडित डराते हैं तो लोग डरते क्यों हैं। शायद मन के किसी कोने से वह भी इन बातों पर यकीन करते हैं। नहीं तो क्यों लोग परंपरागत तरीकों से विवाह करते हैं। जिसे लगभग हर धर्म में पंडित सरीखे लोग ही अंजाम देते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  10. @ नितिन जी

    मैं आपकी बात से भी सहमत हूं।

    जवाब देंहटाएं
  11. jahan tak mai janta hun kal-sarp nam ka koi yog hi nahi hota hai yah to hindustani pakhandi pandito ne public ko dhokha dene ke liye bana rakha hai,is tarha ke logon se bachana chahiye.

    जवाब देंहटाएं
  12. Thank you. Main ek manglik kanya hoon, mujhe aaj tak yahi bataya gaya tha ki manglik log amanglik hote hai. lekin aapke logical explanation se main puri tarah sahamt hoon. sach to yahi hai ki nahut sare non-manglik couples ke bich bhi nahi banti. In sab chijo ka psychological effect bhi hota hai.

    जवाब देंहटाएं
  13. kya koi esaudahran hai ki kisi manglik kanya ne sade var se vivah kiya ho aur purn rup se sukhi vaivahik jiwan gujar rahi haiyadi han to krpya unke janm tithi janm samay aur janm sthankaullekh kare

    जवाब देंहटाएं
  14. Nashkar Pandit ji

    Kya kisi manglik ladke se kisi normal ladki se shadi kar sakti hai... agar nahi to uska koi solution hai .... Please jaror uttar dena...

    bhut bhut dhanyavad
    Sangeeta

    जवाब देंहटाएं
  15. Friday, 20 April 2012
    मंगल का सीधा सम्बन्ध रक्त से होता है.कुछ विशेष स्थानों में मंगल रक्त में उग्रता और कुछ मामलों में रक्त की अशुद्धि देता है.अपने ध्यान दिया होगा की मांगलिक अथवा मंगल से संभंधित लग्न के जातक खुजली ,फोड़े -फुंसियों आदि से अधिकतर प्रभावित होते हैं.साथ ही कुछ जातक असाधारण रूप से उग्र होते हैं.ऐसे में मैं व्यक्तिगत रूप से जब भी कुंडली मिलान करता हूँ ,तो इस पहलु को विशेष ध्यान रखता हूँ.मेरा मानना है की यदि एक कुंडली में मंगल दोषकारक हो रहा हो तो कम से कम दूसरी कुंडली में मंगल अपनी शुद्धता के साथ होना चाहिए.या किसी अन्य शुभ गृह की दृष्टि सम्बंधित भाव पर अवश्य होनी चाहिए.
    मांगलिक वर के लिए मांगलिक कन्या का क्या अर्थ है मेरी समझ से बाहर है. क्या ऐसी अवस्था में हम मंगल से होने वाले सम्बंधित भाव को अधिक खराब नहीं कर देते?यदि किसी कुंडली में मंगल अपनी नकारात्मक उग्रता किसी जातक को दे रहा है तो ये आवश्यक हो जाता है की जातक का जीवन साथी सौम्य स्वाभाव ,व उग्रता में कम हो.ताकि जीवन में कभी यदि एक गुस्से में अपना नियंत्रण खो देता है तो कम से कम दूसरा स्तिथि को सम्हालने का प्रयास करे.

    जवाब देंहटाएं