मुण्डेन ज्योतिष के बारे में बहुत कम लिखा गया है। वास्तव में यह विषय शुरू से ही अछूता रहा है। इसके दो कारण हैं। पहला यह कि अधिकांश ज्योतिषी जातक की कुण्डली देखने में अधिक सहज महसूस करते हैं। कारण स्पष्ट है कि पैसा तो वही देगा। ऐसे में समष्टि की बजाय व्यक्तिगत काम अधिक हो रहा है। दूसरा कारण है कि बड़े पैमाने पर सोचने और उस पर फलादेश देना अपेक्षाकृत कठिन भी है। इसके लिए कहीं दिशा-निर्देश नहीं मिलते। ऐसे में मुण्डेन ज्योतिष का उपेक्षित होना स्वाभाविक है। मेरे आदरणीय गुरुओं में से एक ने मुझे बताया कि अगर मुण्डेन पर काम करना है तो पहले राफेल पढ़ो। मैंने खुब खोजा लेकिन राफेल की किताब कहीं नहीं मिली। स्थानीय पुस्तक विक्रेता ने भी उसे उपलब्ध कराने से मना कर दिया। लेकिन पिछले दिनों वह मुझे ऑनलाइन कहीं मिल गई। अब मैं यहां उसका हिन्दी अनुवाद दे रहा हूं। इससे हो सकता है कि ज्योतिष के कई विद्यार्थियों को लाभ मिल जाए। मुझे तो खैर दोहरा लाभ पहले से ही हो रहा है। पहला कि इस किताब को और अधिक ध्यान से पढ़ पाउंगा और दूसरा कि मेरे ब्लॉग के लिए एक और पोस्ट मिल जाएगी। अब मैं इसी पोस्ट में राफेल की किताब के अंश देना शुरू कर रहा हूं।
राफेल की पुस्तक का पहला भाग
क्या है मुण्डेन ज्योतिष
वास्तव में यह ज्योतिष की एक शाखा है जो देशों, राज्यों और शहरों का भाग्य बताती है। एक सामान्य कुण्डली की तरह किसी स्थान विशेष की कुण्डली बनाई जाती है। किसी राष्ट्र के सम्बन्ध में बात करते समय कारकों का वर्गीकरण निम्न अनुसार होगा।
प्रथम भाव - यह आम आदमी से सम्बन्धित होगा। जनता का स्वास्थ्य, राष्ट्र की सामान्य परिस्थितियां और सामान्य तौर पर देश की गृह विभाग की स्थिति।
द्वितीय भाव- राष्ट्रीय एक्सचेंजर, रेवेन्यू, स्टॉक मार्केट, बैंकें, व्यावसायिक मामले और ट्रेडिंग इस भाव से देखी जाएगी।
तृतीय भाव- रेलवे और इससे सम्बन्धित अन्य मुद्दे, ट्रेफिक, स्टॉक एवं शेयर, टेलिग्राफ, टेलिफोन एवं पोस्टल मुद्दे, यातायात के साधन, मोटरें, बसें, किताबें, समाचारपत्र और साहित्यिक गतिविधियां इस भाव से देखी जाएंगी।
चतुर्थ भाव- मौसम, कृषि, फसलें और जमीन सम्बन्धी मुद्दे, खानें, सार्वजनिक इमारतें। इसके अलावा देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी इस भाव से देखेंगे।
पंचम भाव- थियेटर, म्युजिक हॉल और मनोरंजन के स्थान, बच्चे, शिक्षा, जन्मदर, स्कूलें, नैतिक मूल्य और सट्टा प्रवृत्ति इस भाव से देखी जाएगी।
छठा भाव- बीमारी, जनता का स्वास्थ्य, थल और जल सेना, आराधना के तरीके और सामान्य तौर पर कामकाजी जनता को इससे देखा जाएगा।
सातवां भाव- विदेशी मामले और अन्य ताकतों के साथ सम्बन्ध, युद्ध व अंतरराष्ट्रीय स्तर के विवाद, शादियां, तलाक और विदेशी व्यापार इससे देखा जाएगा।
आठवां भाव- मृत्युदर, आत्महत्याएं और गुप्त समूहों को इससे देखा जाएगा।
नौंवा भाव- अदालतें, जज, पंडित, इमाम, पादरी और हुजूरी के अलावा कॉलोनियल ट्रेड अफेयर, व्यावसायिक ताकतें, विज्ञान, शिपिंग और इससे जुड़े अन्य मामले इस भाव से देखे जाएंगे।
दसवां भाव- राजा, शाहीपन, सरकारें, सत्ताधारी ताकतें, एरिस्टोक्रेसी, नोबेलिटी व समाज इस भाव से देखे जाएंगे।
ग्यारहवां भाव- संसद, राज्यसभा, लेजिस्लेशन इस भाव से देखेंगे।
बारहवां भाव- कैदी, वर्कशॉप या गोदियां, अस्पताल, दानदाता ट्रस्ट, अपराध, हत्याएं, अपराधी, जासूस और गुप्त शत्रु इस भाव से देखने होंगे।
यह तो हुआ भावों के कारकों का उल्लेख। अब इनके इस्तेमाल के तरीके आगामी पोस्टों में बताने का प्रयास करूंगा। अभी इतना ही यह था भाग एक...
राफेल की पुस्तक का पहला भाग
क्या है मुण्डेन ज्योतिष
वास्तव में यह ज्योतिष की एक शाखा है जो देशों, राज्यों और शहरों का भाग्य बताती है। एक सामान्य कुण्डली की तरह किसी स्थान विशेष की कुण्डली बनाई जाती है। किसी राष्ट्र के सम्बन्ध में बात करते समय कारकों का वर्गीकरण निम्न अनुसार होगा।
प्रथम भाव - यह आम आदमी से सम्बन्धित होगा। जनता का स्वास्थ्य, राष्ट्र की सामान्य परिस्थितियां और सामान्य तौर पर देश की गृह विभाग की स्थिति।
द्वितीय भाव- राष्ट्रीय एक्सचेंजर, रेवेन्यू, स्टॉक मार्केट, बैंकें, व्यावसायिक मामले और ट्रेडिंग इस भाव से देखी जाएगी।
तृतीय भाव- रेलवे और इससे सम्बन्धित अन्य मुद्दे, ट्रेफिक, स्टॉक एवं शेयर, टेलिग्राफ, टेलिफोन एवं पोस्टल मुद्दे, यातायात के साधन, मोटरें, बसें, किताबें, समाचारपत्र और साहित्यिक गतिविधियां इस भाव से देखी जाएंगी।
चतुर्थ भाव- मौसम, कृषि, फसलें और जमीन सम्बन्धी मुद्दे, खानें, सार्वजनिक इमारतें। इसके अलावा देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी इस भाव से देखेंगे।
पंचम भाव- थियेटर, म्युजिक हॉल और मनोरंजन के स्थान, बच्चे, शिक्षा, जन्मदर, स्कूलें, नैतिक मूल्य और सट्टा प्रवृत्ति इस भाव से देखी जाएगी।
छठा भाव- बीमारी, जनता का स्वास्थ्य, थल और जल सेना, आराधना के तरीके और सामान्य तौर पर कामकाजी जनता को इससे देखा जाएगा।
सातवां भाव- विदेशी मामले और अन्य ताकतों के साथ सम्बन्ध, युद्ध व अंतरराष्ट्रीय स्तर के विवाद, शादियां, तलाक और विदेशी व्यापार इससे देखा जाएगा।
आठवां भाव- मृत्युदर, आत्महत्याएं और गुप्त समूहों को इससे देखा जाएगा।
नौंवा भाव- अदालतें, जज, पंडित, इमाम, पादरी और हुजूरी के अलावा कॉलोनियल ट्रेड अफेयर, व्यावसायिक ताकतें, विज्ञान, शिपिंग और इससे जुड़े अन्य मामले इस भाव से देखे जाएंगे।
दसवां भाव- राजा, शाहीपन, सरकारें, सत्ताधारी ताकतें, एरिस्टोक्रेसी, नोबेलिटी व समाज इस भाव से देखे जाएंगे।
ग्यारहवां भाव- संसद, राज्यसभा, लेजिस्लेशन इस भाव से देखेंगे।
बारहवां भाव- कैदी, वर्कशॉप या गोदियां, अस्पताल, दानदाता ट्रस्ट, अपराध, हत्याएं, अपराधी, जासूस और गुप्त शत्रु इस भाव से देखने होंगे।
यह तो हुआ भावों के कारकों का उल्लेख। अब इनके इस्तेमाल के तरीके आगामी पोस्टों में बताने का प्रयास करूंगा। अभी इतना ही यह था भाग एक...
अच्छी जानकारी .. अगली कडियों का इंतजार रहेगा !!
जवाब देंहटाएंagli tippni jaldi vegiye.
जवाब देंहटाएंBahut sunder jankari age ki tippni ka intjar.
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