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शनिवार, जनवरी 15, 2011

शक्ति के नियम और पतंगबाजी...

हर बार मकर संक्रांति पर जयपुर वाले जमकर पतंगें उड़ातें हैं और बीकानेर वाले आखातीज को याद करते हैं। आपको क्‍या लगता है, इस बार कुछ नया हुआ होगा, नहीं बिल्‍कुल नहीं। इस बार भी वही हुआ।
लेकिन मैंने कुछ अलग करने की ठानी है।
पतंगबाजी के बीच से कुछ छानकर
निकालने को छननी तानी है।
गौर किया तो पता लगा कि पतंगबाजी में शक्ति के कुछ नियम छिपे हैं। सर्दी से जकड़कर तीन दिन से घर में पड़ा हूं, सो शक्ति के नियमों और पतंगबाजी का घालमेल ही क्‍यों न तैयार कर लिया जाए। तो पेश है कुछ नियम...


पहला नियम
कभी हवा के खिलाफ जाकर पेंच मत लड़ाओ... हमेशा आपकी ही पतंग कटेगी, हां आपमें अगर माद्दा है कि आप लपाते (खींचते) रह सकते हैं आखिरी हाथ तक तो ही आप विरोधी की पतंग काट पाएंगे। वरना हवा के रुख के खिलाफ जाते ही आपकी पतंग ढीली पड़ जाएगी।

दूसरा नियम
फटी हुई पतंग से अपनी पतंग दूर रखो... इसे ऐसे समझ सकते हैं जैसे कोई बिजनेस डूब रहा हो और आप उसे लेकर ट्रेड में कूद पड़ें। आपका पैसा डूबना तय है। नैतिकता और आत्‍मविश्‍वास जैसे पहलुओं से भी इसे जोड़ा जा सकता है।

तीसरा नियम
अपने पीछे वाले से लम्‍बे पेंच मत लो... पीछे वाले पतंगबाज की पतंग हमेशा आपकी पतंग से भारी रहेगी। ऐसे में या तो पेंच करने से बचो या एक बार में ही पतंग काट दो, लम्‍बे पेंच लिए तो आपकी पतंग कटनी तय है।

चौथा नियम
पासे वाली पतंग आपको सक्रिय रखेगी... ऐसी पतंग जो मैन्‍युफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट के कारण एक ओर झुक रही हो, वह हमेशा आपको सक्रिय रखेगी, लैस प्रिडिक्‍टेबल होने के कारण उसके कटने की आशंका भी कम रहेगी।

पांचवा नियम
हवा न हो तो पतंग उतार लो.. हवा का बहाव अचानक बंद हो जाए तो बढ़ी हुई पतंग को समय रहते उतार लेना चाहिए, वरना मांझा झोळ खा जाता है, इससे पतंग लुटने का डर बना रहता है। बढ़ी हुई पतंग का लोभ न करें और हवा आने पर दोबारा उड़ा लें।

छठा नियम
कटी हुई पतंग का आकर्षण... कटी हुई पतंग मुफ्त माल की तरह होती है, उसे कभी जाने मत दो। कटी हुई पतंग का धागा सही पिरोया हुआ होता है, तभी तो वह उड़कर कटती है। दूसरी ओर कटी पतंग के साथ आए मांझे को भली भांति चैक करने के बाद ही काम में लें, अगर उपयुक्‍त धागा नहीं है तो लोभ न करें उसे फेंक दें और बढि़या धागे के साथ उड़ाएं।

सातवां नियम
विजय उत्‍सव जोर से मनाएं... एक या दो पतंग काट लेने के बाद अपनी पतंग को आसमान में ऊंचा टांग दें। दूसरे पतंगबाज जिन्‍होंने पहले दो पेंच देखें होगे वे करीब नहीं आएंगे और नए पतंगबाज पहले नीचे की पतंगों से उलझेंगे। ऐसे में आपकी पतंग देर तक आसमान में टिकी रहेगी। ऐसा आप बिना एक भी पतंग काटे भी कर सकते हैं।

आठवां नियम
आखिर में सादा लगाना ही पड़ेगा... आप अगर बढि़या सुता हुआ मांझा इस्‍तेमाल करते हैं तो भी आपको पतंग के काफी बढ़ जाने पर आखिर में सादा सफेद धागा लगाना ही पड़ेगा। वरना पतंग के जोर से खुद की ही अंगुलियां कटेंगी। ऐसे में ध्‍यान रखें कि किसी को दिखाने की बजाय समय पर सफेद धागा जोड़ दिया जाए, ताकि सुते हुए मांझे का अधिक नुकसान नहीं हो।

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं...

9 टिप्‍पणियां:

  1. इस दृष्टिकोण से तो सोचा ही नहीं था. यह तो पतंग में छिपी गीता हो गई. :) क्या बात है!!

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  2. नियम महत्वपूर्ण, व्यावहारिक और उपयोगी हैं। मकर संक्राति की आपको भी शुभकामनायें!!

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  3. वाह बंधु !
    वस्तुगत नियमसंगति खोजी जा रही हैं।

    शुक्रिया।

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  4. विश्लेषण प्रभावी है.. पीछे वाले से और ज्यादा बडी पतंग वाले से लंबे पेंच/ ढील के पेंच ना लेना ये बात बचपन में मेरे मामाजी ने भी सिखाई थी :)

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  5. kya baat hai....gyaan mein bahut izafa ho gaya! patang seekhne mein kaam aayega!

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