पिछली पोस्ट में एक बेहतरीन सवाल मेरे पास आया वह यह कि जिन घरों में भूमि पूजन नहीं कराया गया हो वहां कैसे सुख समृद्धि रहेगी। वास्तु के हिसाब से वे कैसे अच्छे घर सिद्ध हो सकते हैं। यह सवाल किया था अल्पना वर्मा जी ने उन्हीं के शब्दों में
'अगर किसी कारणवश किसी इमारत को बनाने से पहले नींव पूजन न होसके तो क्या करना चाहिये?
भारत के अलावा कई पश्चिमी देशों में भूमि पूजन या नींव पूजन आदि नहीं कराये जाते तब भी वहां सब ठीक रहता है.'
यहां मैं बताना चाहूंगा कि वास्तु विषय के मुताबिक पूजन कराना अनिवार्य शर्त नहीं बल्कि एक सुविधा है। यानि अगर पूजन नहीं भी कराया है तो उस घर में सुखी और समृद्ध बनकर रहा जा सकता है। लेकिन अब भी वास्तु के नियम वही रहेंगे।
बात कुछ उलझ रही लग सकती है। ठीक है पहले समझते हैं वास्तु आखिर में है क्या। किसी भी स्थान की अवस्था को वास्तु कहा जा सकता है। स्थान की अवस्था का आकलन करने के लिए यह देखा जाएगा कि वह कहां स्थित है, हवा, पानी, रोशनी आदि की कैसी व्यवस्था है, घर के बाहर के क्या हालात हैं आदि। यह तो हुई स्थान की इंडिपेंडेंट बात। अब उस स्थान के मालिक और स्थान में भी एक संबंध होता है। यही संबंध तय स्थान पर हुए निर्माण में दृष्टिगोचर होता है। कैसे ?
बहुत सामान्य बात है। शनि से प्रभावित लोगों के घरों में आप ट्यूबलाइट अधिक देखेंगे और वह भी धीमी जल रही होगी। बाकी अधिकांश घर ऐसा होगा कि दिन में भी अंधेरा महसूस हो। मंगल और सूर्य से प्रभावित लोग अपने घर के आगे और पीछे इतनी जगह छोड़ते हैं कि देखने वाले को लगता है कि जमीन कुछ ज्यादा ही बड़ी ले ली लेकिन घर छोटे भाग में ही बनाया है। हर व्यक्ति के व्यक्तित्व की छाप उसके आवास पर दिखाई देगी। अब यह तो बात हुई वास्तु की उपस्थिति की। अब यह पूजन का क्लॉज कब जुड़ गया। मैं तो कहूंगा कि यह भी जरूरी भाग है। प्राचीन भारतीय दर्शन को आधुनिक भारत से शुरू से ही नहीं समझा। पहले योगियों का भी मजाक उड़ाया जाता था अब योग फैशन बन रहा है। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि प्राणायाम के क्या क्या लाभ हैं इसका निर्णय होना अभी बाकी है। यह न केवल सामान्य रोगों को ठीक करता है बल्कि कई प्रकार के जेनेटिक डिसऑर्डर को भी दुरुस्त कर देता है। ऐसी ही स्थिति नींव पूजन के साथ भी है। बहुत से लोगों को पता नहीं है कि इसका क्या महत्व है।
लेकिन जब तक इसका महत्व लैबोरेट्रीज में पता चले उससे पहले तो कम से कम इसे जिंदा रखने के लिए हमें भूमि पूजन कराते रहना चाहिए। रही बात पश्चिमी सभ्यता के लोगों की जो भूमि पूजन नहीं कराते हैं। वे हमारी तरह ही कभी सुखी कभी दुखी होते रहते हैं। हां हम एक बात में उनसे आगे रहते हैं वह यह कि हमें महसूस होता है कि हां कोई तीसरी शक्ति है जो पर्दे के पीछे रहकर लगातार हमारी सहायता कर रही है। बस यही है भूमि पूजन का वास्तविक महत्व...
मेरा शहर बीकानेर, अगली बार बताउंगा विश्व और आपके शहर का वास्तु
जानकारी के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी .घर का कौन सा आकर बेहतर होता है ..हमारा घर रेलगाडी के डिब्बे सा है :)
जवाब देंहटाएंजानकारी अच्छी है....पर मेरी एक जिज्ञासा है अगर आप बता पायें......"क्या घर का अंक यानि house no. भी घर की सुख समृद्धि मे अपना योगदान देता है......अगर किसी घर का house No 19/7 है और कुल जोड़ बनता है 8 तो क्या इसका कोई मह्त्व है ..."
जवाब देंहटाएंRegards
आदरणीय पंडित जी ,मेरी जिज्ञासा का उत्तर आप ने दिया .
जवाब देंहटाएंआप का कोटिश धन्यवाद .
आप के जवाब ने एक बहुत बड़ा बोझ दिल से उतार दिया .
मगर अब जिस घर को बिना नींव पूजन के बनवा ही दिया गया हो उस का क्या हल हो सकता है?
कृपया इस पर भी कभी प्रकाश डालियेगा..क्या कोई प्रावधान है.
हमारे जैसे बहुत से विदेश में रहने वाले भारतीय अपने घर या इमारतों को इस तरह से बनवाने पर विवश होते हैं.
मगर दिल और दिमाग में संशय रहता ही है.
आभार सहित-
अल्पना
अच्छी जानकारी दी है. फ्लैट में रहने वाले भूमि पूजन कैसे करे ? क्या ग्रह परवेस का हवन ही काफी है???????
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