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बुधवार, जुलाई 18, 2012

Astrology : Specification of Jatakas Kundali and limitations - 2


ज्‍योतिष : जातक कुण्‍डली और फलादेश, 
भविष्‍य में झांकने की संभावनाएं और सीमाएं



ganeshज्‍योतिष की विभिन्‍न शाखाओं के बारे में विचार के तहत हम बात कर रहे थे जातक कुण्‍डली (Jatak Kundali) की।  जातक कुण्‍डली को देखना शुरू करने से पहले ही कई तरह की समस्‍याएं सामने आती हैं। इनमें प्रमुख है जन्‍म समय का सही होना। जो भी जातक कुण्‍डली लेकर ज्‍योतिषी के पास आता है, वह सटीक फलादेश चाहता है, लेकिन इस बात की गारंटी देने के लिए तैयार नहीं होता है कि उसका जो जन्‍म समय बताया गया है वह मिनटों तक सही है। 

मैंने तो यह तक देखा है कि जो अधिक दावा करते हैं, आमतौर पर उनकी कुण्‍डली गलत ही निकलती है, केवल अपनी जिद को प्रदर्शित करने के लिए वे ज्‍योतिषी (Astrologer) पर दबाव डालते हैं कि वह जो समय बता रहा है वह सौ प्रतिशत सही है। ऐसे में स्‍थूल फलादेश (General prediction) फिर भी सही मिल जाते हैं, लेकिन घटनाओं की समय अवधि और सूक्ष्‍म वर्णन आमतौर पर सही नहीं मिल पाते हैं। उनमें कई बार तो महीनों तक का अंतर आ जाता है। एक लग्‍न तीस अंशों का होता है। अगर जन्‍म समय शुरूआती अंशों या आखिरी अंशों में हो तो लग्‍न बदलनें की आशंका प्रबल हो जाती है। ऐसे में जन्‍म समय को लेकर अधिक सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है। अगर लग्‍न मध्‍य में हो यानी 7-8 डिग्री से 25-26 डिग्री तक, तो एक निश्चिंतता रहती है।

शुरूआती दौर में गलत कुण्‍डलियों (Kundali) की ऐसी समस्‍या हर दूसरे तीसरे जातक के साथ आती थी। ऐसे में गुरुजी ने एक सरल पद्धति बताई जिससे इस समस्‍या का फौरी समाधान निकाला जा सकता है। वह यह कि जब भी जातक कुण्‍डली लेकर आए, उसी समय प्रश्‍न कुण्‍डली भी बना लो। अगर प्रश्‍न कुण्‍डली और जातक का प्रश्‍न उसकी जन्‍म कुण्‍डली के अनुसार मैच होता है तो जातक की लग्‍न कुण्‍डली को सही मान लिया जाए। इस फौरी समाधान से अस्‍सी प्रतिशत तक कुण्‍डलियों को जांचने का काम निपट जाता है। (प्रश्‍न कुण्‍डली पर पूर्व में लिख चुका हूं, इस सीरीज के आगे के लेखों में एक बार फिर कुछ बताने का प्रयास करूंगा)

जन्‍म समय सही मिल जाने और कुण्‍डली की जांच के बाद उसके फलादेश का काम शुरू होता है। पारम्‍परिक भारतीय ज्‍योतिष (Traditional vedic astrology) में लग्‍न कुण्‍डली (जो कुण्‍डली पहले पन्‍ने पर बनी हुई होती है) के सूक्ष्‍म विश्‍लेषण के लिए उसके टुकड़े राशियों के आधार पर किए गए हैं। इसी को नवमांश, (Navmansha) दशमांश या द्वादशांश कहते हैं। इसमें लग्‍न की राशि के अंशों के आधार पर विभाग कर बाकी की कुण्‍डली तैयार कर ली जाती है। 

बैंगलोर के प्रसिद्ध ज्‍योतिषी प्रोफेसर केएस कृष्‍णामूर्ति (KP) ने राशि के आधार पर अंशों में विभाजन की पद्धति को पूर्णतया नकार दिया और सूक्ष्‍म विश्‍लेषण के लिए एक नई पद्धति ईजाद की, जो पाराशरीय सिद्धांत पर आधारित थी। ऋषि पाराशर ने विंशोतरी दशा पद्धति (जिसे आप दशा (Dasha) के नाम से जानते हैं) बनाई। इसमें चंद्रमा के नक्षत्र चार के आधार पर एक व्‍यक्ति के जीवनकाल को 120 साल मानकर हर ग्रह को एक निश्चित दशा का आधार दिया। दशाओं के टुकड़े भी उसी अनुपात में किए गए। इसे अंतरदशा कहा गया। अष्‍टोत्‍तरी एवं अन्‍य दशा सिस्‍टम की तुलना में विंशोत्‍तरी दशा पद्धति (Vimshottari dasha system) अधिक सटीक और वैज्ञानिक लगता है। 

केएस कृष्‍णामूर्ति ने पाराशरीय सिद्धांत की पालना करते हुए हर राशि और भाव के उसी के अनुसार टुकड़े कर दिए। ऐसे में 27 नक्षत्रों के 9-9 टुकड़े हुए। पूरी कुण्‍डली के 360 डिग्री को 249 भागों में बांट दिया गया। पारम्‍परिक पद्धति की तुलना में यह पद्धति अधिक सटीक लगती है। इसमें लग्‍न कुण्‍डली का ही विश्‍लेषण पर्याप्‍त है। नवमांश, त्रिशांश, दशमांश आदि का विश्‍लेषण अलग से करने और उनके सिद्धांत याद रखने की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में वर्तमान दौर में पारम्‍परिक की तुलना में केपी सिस्‍टम के ज्‍योतिषियों की संख्‍या में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है।

अगर आप केपी सिस्‍टम को जानना चाहते हैं तो कृष्‍णामूर्ति पद्धति की कुल जमा छह पुस्‍तकों में से प्रथम पुस्‍तक “कास्टिंग द होरोस्‍कोप” (Casting the horoscope) ले आएं। इसमें कुण्‍डली बनाने, दशाओं को निकालने और सूक्ष्‍म टुकड़े किए जाने की पद्धति विस्‍तार से दी गई है। 

7 टिप्‍पणियां:

  1. मेरा जन्म दिन समय लगभग (?) सही सही ज्ञात है। मेरे पिताजी का क्या कहा जाये जो बकौल मेरी आजी, आषाढ़ के किसी दिन पैदा हुये थे। पिछली पीढ़ी में बहुतों का यही हाल है। सही डॉक्यूमेण्टेशन की भारत में परम्परा ही नहीं है!

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    1. संस्‍थागत प्रसव के बाद में आम लोगों में जन्‍म समय सही सही ज्ञात करने का रुझान बढ़ा है। जब जन्‍म का सही समय ज्ञात नहीं हो तो किसी प्रश्‍न विशेष के लिए प्रश्‍न कुण्‍डली का सहारा लिया जा सकता है। यह जातक की लग्‍न कुण्‍डली की तुलना में अधिक सटीक जवाब दे देती है।

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  2. कृष्‍णामूर्ति की छह पुस्‍तकें हैं। उन्‍हें रीडर्स नाम से जाना जाता है। फर्स्‍ट रीडर से सिक्‍सथ रीडर तक। बाजार में इसी नाम से आपको मिल जाएगी।

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  3. यह एक रोचक विज्ञान है। इसके लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है। आपने रोचक जानकारी दी है।

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  4. excellent site of astorology. can send tip for how to see and predicte janam kundli

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