राशियों से परिचय
जब हम किसी कुण्डली या टेवे में लग्न कुण्डली देखते हैं तो हमें तीन चीजें प्राथमिक तौर पर दिखाई देती हैं। कुण्डली के बारह भाव, बारह राशियां और नौ ग्रह। पिछले कुछ सालों में यूरेनस, नेप्च्यून और प्लेटो को भी शामिल किया जाता रहा है, लेकिन प्राचीन भारतीय ज्योतिष में इनका उल्लेख नहीं मिला है। आगामी कक्षाओं में हम पहले राशियों, फिर ग्रहों और अंत में भावों से परिचय प्राप्त करेंगे। जब हम किसी कुण्डली का विश्लेषण करते हैं तो हम भाव से देखेंगे कि पूछे गए प्रश्न का आधार क्या है, राशि से देखेंगे कि प्रश्न का स्वभाव क्या है और ग्रहों से देखेंगे कि प्रश्न पर किन ग्रहों का अधिकार या प्रभाव है। आकाश को बारह बराबर हिस्सों में बांटकर बारह राशियां बना दी गई हैं। पहली राशि मेष, दूसरी वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और बारहवीं मीन राशि है। हर राशि का अपना स्वभाव है। आज की कक्षा में हम केवल तीन राशियों का परिचय प्राप्त करेंगे।
भचक्र की पहली राशि “मेष”
इस राशि पर मंगल का आधिपत्य है। प्रकृति से यह राशि उष्ण और अग्नितत्वीय है। यह चर और धनात्मक राशि है। मानव शरीर पर इसका सिर और चेहरे पर आधिपत्य होता है। जब मैं मेष लग्न या मेष राशि से प्रभावित जातक को देखता हूं तो वह मुझे मझले कद का गठे हुए शरीर का दिखाई देता है। लड़ाकू लोगों की तरह मेष राशि के लोगों का जबड़ा कुछ चौड़ा होता है। ये लोग एक जगह टिककर नहीं बैठते। मेष राशि का एक बालक अगर आपके घर में आता है तो वह पहले कमरे में घूमकर देखेगा। इधर-उधर सामान छेड़ेगा। तब तक उसके अभिभावक उसे रोकने का निष्फल प्रयत्न करते रहेंगे। आप भी परेशान रहेंगे। आखिर निरीक्षण पूरा होने के बाद वह अपनी सीट पर आकर बैठेगा। तब भी उसकी टांगे हिलती रहेंगी। मेष राशि से प्रभावित जातकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत अधिक होती है। मेष राशि की दिशा पूर्व है, उत्पाद बम, आतिशबाजी का सामान, तीखे और नुकीले साधन हैं, जब लिखते हैं तो तीखी लिखावट होती है।
प्रेरणादायी वृष राशि
भचक्र की दूसरी राशि है वृष। आकाश के 31वें से 60वीं डिग्री तक इस राशि का विस्तार होता है। पृथ्वी तत्व, स्थिर, स्त्रैण, नम राशि के लोग दूसरों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होते हैं। ये सहनशील, दृढ़, मंद, परिश्रमी, रक्षक और परिवर्तन का विरोध करने वाले होते हैं। ये लोग एक ही काम में जुटे रहते हैं और परिणाम आने की प्रतीक्षा करते हैं। दीर्धकालीन निवेशक इस राशि से प्रभावित माने जा सकते हैं। इन जातकों की इच्छाशक्ति प्रबल होती है और विचारों में दृढ़ता और कट्टरता होती है। शुक्र के आधिपत्य वाली वृष राशि से प्रभावित जातक महत्वाकांक्षी होते हैं और साधनों का संचय कर उनका उपभोग भी करते हैं। कला, संगीत, प्रतिमा निर्माण, सिनेमा, नाटक जैसे आमोद प्रमोद और विलासी कार्यों में शुक्र का प्रभाव देखा जा सकता है। इनकी सदैव सुखी जीवन जीने की कामना होती है। ये लोग तभी तक काम में जुटते हैं जब तक कि इन्हें इच्छित की प्राप्ति नहीं हो जाती। अपने साधनों को जुटा लेने के बाद ये लोग उसका उपभोग करने के लिए अवकाश ले लेते हैं। सुंदर लिखावट, प्रवाह के साथ लेखन और स्त्रियों के प्रति सम्मान इन लोगों में विशेष रूप से देखने को मिलता है। शुभ रंग गुलाबी, हरा और सफेद और शुभ रत्न नीलम, हीरा और पन्ना होता है।
यादों में खोए मिथुन राशि के जातक
आकाश के टुकड़ों का तीसरा 30 डिग्री का टुकड़ा मिथुन राशि है। इस पर बुध का आधिपत्य है। वायव्यीय राशि के जातक यादों के साथ अपनी जिंदगी बिताते हैं। इन्हें आप बचपन की कोई बात पूछ लीजिए, चालीस साल की उम्र में भी तीन साल की उम्र की यादें ऐसे ताजा होंगी जैसे कल ही की बात हो। हाथ पैर लम्बे, शिराएं दिखती हुई, लम्बा और सीधा शरीर, रंग गेहुंआ, दृष्टि तीव्र और क्रियाशील तथा लम्बी नासिका वाले ये जातक अलग से ही पहचान में आ जाते हैं। ये लोग चपल, अध्ययनशील, व्यग्र और परिवर्तन के लिए तैयार रहने वाले लोग होते हैं। द्विस्वभाव राशि के ये जातक नौकरी के साथ व्यवसाय करते देखे जा सकते हैं। कई बार केवल व्यवसाय करते हैं तो दो तरह के व्यवसाय में लगे दिखाई देते हैं। दूसरों की सहायता करते वक्त इनका कौशल देखते ही बनता है। परिवर्तनशीलता एक ओर जहां इनका सद्गुण है वहीं दूसरी और दुर्गुण भी। ये काम को छोड़कर दूसरा हाथ में ले लेते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के चलते ये लोग बीमार कम पड़ते हैं। अगर रोग होते भी हैं तो अधिकांशत: फेफड़ों से संबंधित। बुध के संबंधित व्यवसाय ये आसानी से कर लेते हैं। दलाली इनका खास गुण होता है। शीघ्रता से मित्रता करते हैं और उतनी ही शीघ्रता से अपने साथी की कमियां भी निकाल लेते हैं। इसलिए इन्हें परफेक्ट मैच कम ही मिल पाता है। ये लोग जब लिखते हैं तो इनका वायव्यीय गुण उभर आता है। लिखते समय पंक्तियों के ऊपर निकल जाते हैं। हरा और पीला रंग इनके लिए शुभ है, नीले और लाल रंगों से बचना चाहिए। पन्ना और पुखराज भाग्य को उत्तम बनाएंगे। अगर सफल होना है तो मिथुन राशि वालों एकाग्र होना सीख लो।
अगली कक्षा में हम बात करेंगे कर्क, सिंह और कन्या राशि की...
राशियों का यह परिचय स्पष्टत: राशियों के संबंध में ही समझा जाए। जब लग्न मजबूत हो और जातक की कुण्डली में लग्न का प्रभाव अधिक हो तो राशियों का स्वभाव जातक के लग्न के स्वभाव के अनुसार होगा और अगर चंद्रमा अधिक मजबूत हो और कुण्डली पर चंद्रमा का अधिक प्रभाव हो तो जिस राशि में चंद्रमा होगा, व्यक्ति का नैसर्गिक स्वभाव चंद्र कुण्डली या चंद्रमा वाली राशि के अनुसार होगा...
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