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मंगलवार, अक्टूबर 12, 2010

सबल ग्रह का रत्‍न धारण करें या निर्बल ग्रह का?

आयाम 

यह भी एक टेढ़ा सवाल है। वास्‍तव में ऐसा होता है मुझे इसमें भी शक है। दरअसल, कृष्‍णामूर्ति का तो कथन है कि लग्‍न और नवम भाव तथा इनसे सम्‍बन्धित ग्रहों का ही उपचार किया जा सकता है। ऐसे में कोई ग्रह निर्बल हो या सबल क्‍या फर्क पड़ता है। इस लेख को पढ़ने से पहले पाठक को चाहिए कि मेरे रत्‍नों पर लिखे कुछ पिछले लेखों को देख लेना चाहिए। ये लेख हैं...

1. मोती और पुखराज तो किसी को भी पहना दो... चलेगा

2. लाल किताब का प्रभाव यानि सिद्धांतों में घालमेल

3. ईलाज किसका करना है परिस्थितियों का, दूसरों का या खुद का

4. मैं जिज्ञासा बढ़ाने का प्रयास कर रहा हूं... 

इन लेखों में मैंने वर्तमान में रत्‍न को लेकर चल रहे कई सिद्धांतों और उनके कारण पैदा हो रहे व्‍याघात को समझाने का प्रयास किया है। निर्बल और उच्‍च ग्रह का उपचार भी ऐसा ही एक और व्‍याघात है।

कैसे, समझाने का प्रयास करता हूं...

एक उदाहरण की कुण्‍डली लेते हैं। मान लीजिए एक तुला लग्‍न की कुण्‍डली है। उसमें शुक्र लग्‍न का अधिपति हुआ। एक केन्‍द्र और एक त्रिकोण का अधिपति होने के कारण शनि इस कुण्‍डली में कारक ग्रह है। नवम भाव का अधिपति होने के कारण बुध का उपचार भी किया जा सकता है। अब कृष्‍णामूर्ति की माने तो इस कुण्‍डली के शुक्र, शनि और बुध ग्रह का ही इलाज किया जा सकता है। अब इस कुण्‍डली में अगर गुरू, सूर्य या मंगल खराब स्थिति में है तो उनके इलाज की जरूरत ही नहीं है। एक व्‍यक्ति राजमहल में रह रहा हो तो उसे ज्ञान, आधिपत्‍य, और ताकत स्‍वत: मिलती है, और अगर न भी मिले तो उसके लिए प्रयास करने की जरूरत भी नहीं है। ऐसा जातक अगर ज्‍योतिषी से यह मांग करे कि उसे अपने आधिपत्‍य, ताकत और ज्ञान में बढ़ोतरी की जरूरत है तो मान लीजिए कि वह केवल किसी लालसा की वजह से कुछ समय के लिए भटककर यह सवाल कर रहा है। वास्‍तव में उसे जो चाहिए वह ऐश्‍वर्य, विरासत, कंफर्ट, कम्‍युनिकेशन स्किल और अपनी चाही गई चीजों के लिए ईज ऑफ एक्‍सस की जरूरत है। यानि वह अपनी जरूरतों के लिए लम्‍बी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार नहीं है। अगर वह जातक किसी साधन या व्‍यवस्‍था को पाने का प्रयास कर रहा है या रही है तो यह कुछ समय की बात हो सकती है दीर्घकालीन जरूरत नहीं। ऐसे में तुला लग्‍न में बैठे नीच के सूर्य को ताकतवर बनाने के लिए माणिक्‍य भी पहना दिया तो फायदा करने के बजाय नुकसान अधिक करेगा।

यही बात अन्‍य लग्‍नों के लिए भी लागू होती है। तो जातक का इलाज करते समय यह ध्‍यान रखने वाली बात है कि वास्‍तव में जातक का मूल स्‍वभाव क्‍या है। उसे अपनी मूल स्थिति में लौटाने से अधिक सुविधाजनक कुछ भी नहीं है। भाग्‍य को धोखा नहीं दिया जा सकता, लेकिन मानसिक स्थिति में सुधार कर खराब समय की पीड़ा को दूर किया जा सकता है। ऐसे में किसी एक जातक की लालसा का पोषण करने के बजाय उसे सही रास्‍ते की ओर भेजना मेरी समझ में सबसे सही उपाय है। ऐसे में मेष से लेकर मीन राशि और लग्‍न वाले जातकों के लिए अलग-अलग उपचार होंगे। आप गौर करेंगे कि कुछ ग्रहों को कारक तो कुछ को अकारक भी बताया गया है। इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी कुण्‍डली में कारक ग्रहों का प्रभाव होता है और अकारक का नहीं होता। प्रभाव तो सभी ग्रहों का होगा, लेकिन मूल स्‍वभाव कारक ग्रह के अनुसार ही होगा। ऐसे में  उपचार के समय भी कारक ग्रहों का ही ध्‍यान रखा जाए।

रही बात उच्‍च और नीच की... यह तो रश्मियों का प्रभाव है। नीच ग्रह की कम रश्मियां जातक तक पहुंचती है और उच्‍च ग्रह की अधिक रश्मियां। ऐसे में अगर कारक ग्रह अच्‍छी स्थिति यानि अच्‍छे भाव में बैठकर कम रश्मियां दे रहा है तो उसके लिए उपचार करना चाहिए। और अकारक ग्रह खराब स्थिति में या नीच का भी है तो उसे छेड़ने की जरूरत नहीं है।

यह मेरा अब तक के अध्‍ययन से उपजा विश्‍लेषण है.. जरूरी नहीं है कि सही ही हो, लेकिन अब तक जितने जातकों का इलाज इन तथ्‍यों को ध्‍यान में रखकर किया है, मुझे बेहतर परिणाम मिले हैं। एक उदाहरण भी देना चाहूंगा। एक जातक तुला लग्‍न का ही था और अपने संगठन में टॉप लेवल पर पहुंचने के लिए प्रयासरत था, मुझे लगा कि वह अपनी ताकत और प्रबंधन गुण की वजह से तो टॉप लेवल पर नहीं पहुंच पाएगा, लेकिन शनि का नेगेटिव प्रभाव बढ़ाने से बात बन सकती है। पांचवे भाव में स्‍व राशि का होने के बावजूद मैंने जातक को लोहे की अंगूठी गले में पहना दी, और गले में पहना रक्‍त चंदन का सूर्य उतरवा दिया। शनि का असर तेजी से बढ़ा, लग्‍न में बैठे सूर्य और गुरू भी इतना असर नहीं कर पाए जितना शनि ने किया। अब वह अपने संगठन के बहुत महत्‍वपूर्ण ऊंचे पद पर आसीन है।

7 टिप्‍पणियां:

  1. मेरा अनुभव भी है कि उपचार कमजोर ग्रहों का ही किया जाना चाहिए .. विस्‍तृत विवरण तो मेरे ब्‍लॉग में उपलब्‍ध है ही !!

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  2. एक कमेंट मेल पर प्राप्‍त हुआ है... यहां दे रहा हूं..


    Namskar,joshiji maine aap k ratno k bare me likhe sabhi lekh padhe.ratno k bare me bhot achhi jankari bhi mili. kya ratn shi me insan ki taqdir badl skte hi ?Bhagvan shri Ram ko 14 saal ka vanvas kyo hua ? Mahabharat youdh kyo nahi tal ska kya us vqut kisi ko ratn ki jankari nahi thi ?karm ka fal bhugtna hi hai to ratn,manra yanra ya jyotish kaise ksi ki taqudir badal sakte hai ? kya yah sab andh vishvas nahi hai ? Anjan logoko gumrah karna,darana, joothe sapne dikhana.logone dukan khol rkhi hi stone ki garenty bhi dete hai fayda hone ki ?

    PRAFUL RAJGOR
    Mumbai Borivali

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  3. achhi jaankaari is vishay me mat mataantar bahut hai mai chaahata hun ki lagn vaar kaarak va akaarak tatha saamanya bhagya vridhhi hetu ratn sujhaaye saath hi yah bhi batane kaa kasht kare ki yadi navam yaa kaarak grah neech ya shatru ghar me ho gaya ho to aisi sthiti me use kis grah ko majbooti deni chaahiye is vishay me kaafi bhram hai
    jaise singh lagn me mangal va surya karak hai lekin ek shakhs ko pandit ji ne singh lagn va mangal 4th bhav me hone par yah kah diya ki ye koi ratn dhaaran naa kare khas taur se mangal kaa to koi ratn kabhi bhi naa pahane aisa kyo hua maaloom nahi
    aapkaa lekh gyaan vardhak hai lekin sangeeta ji kahati hai ki kamjor graho kaa ratn hi dhaaran karanaa chahiye
    yah shrinkhalaa kaafi rochak va gyaan vardhak ho gayi hai
    saadhuvaad

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  4. very good post..........most of the people were seeing the astrologer for correction of their problem hence they obiviously need some or the other method to do it. I am blessed enough to get the guidence in this regard from gurudev.
    What i found in my experience is following:

    only 1st 5th 9th lord is benefic to the person so their power enhancement work in benefit of person in general and work most of the time

    at times 10th 11th lord were also need to be enhanced as the circumstances suggest

    mantra jap of relevent planet is highly benefic and as good as stone

    semi precious stone are as useful as precious one if the are used in double the weight

    puja and jap is benefic only when conerened person does himself

    this is the secret of astrological practice for benefic of mankind...

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  5. KANYA LAGNA MEEN RASHI
    1 HOUSE
    2 HOUSE - KETU
    3 HOUSE - SHANI HARSHAL
    4 HOUSE - VARUN
    5 HOUSE - GURU
    6 HOUSE -
    7 HOUSE - BHUDH SHUKRA CHANDRA
    8 house - SURYA RAHU
    9 house - MANGAL
    muze konsa ratna dharan karna padega.

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