The Astrology Online

मंगलवार, अप्रैल 21, 2009

क्‍या हो ज्‍योतिषी की भूमिका ?

यह सवाल कमोबेश हर ज्‍योतिष सीखने वाले विद्यार्थी के समक्ष आती है। कभी अध्‍ययन की शुरूआत में तो कभी अध्‍ययन के दौरान तो कभी ज्‍योतिष से उकता जाने के बाद। बहुत से लोग ज्‍योतिष सीखना शुरू करते हैं। कुछेक फलादेश देते हैं और इसके बाद इस विषय को इसी कारण छोड़ देते हैं कि वे अपनी भूमिका तय नहीं कर पाते हैं। हालांकि बाजार में कुछ ऐसे ज्‍योतिषी भी हैं जो कमोबेश तांत्रिक की भूमिका निबाहते हैं। मैंने उनके मुंह से अपने जातक को यह तक कहते सुना है आप कहें तो आपके विरोधी का पेशाब बंद कर दूं। आप कहें तो सोते को खड़ा कर दूं। कुछ इसी तरह के जोश दिला देने वाले वाक्‍य सुनकर जातक हैरान रह जाता है। विरोधी का कुछ हो न हो जातक का पेशाब तो बंद हो ही जाता है। वह उपचार करने और फीस देने के लिए तैयार नजर आने लगता है। कई चक्‍कर निकालने के बाद भले ही जातक का मोहभंग हो जाए लेकिन एक समय के लिए तो वह जैसे ज्‍योतिषी का अनुयायी बन जाता है। ज्‍योतिषी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक जातक छूटे या बंधा रहे, क्‍योंकि उसके पास तो पूरी कतार होती है मूर्ख बनने वालों की। प्रोफेशनली ज्‍योतिष का व्‍यवसाय करने के दौरान मेरे सामने यह सवाल आया था कि क्‍या है ज्‍योतिषी की भूमिका और कहां तक वह जातक की जिन्‍दगी में दखल कर सकता है। वह कैसे उपचार बता सकता है जो उसकी जिन्‍दगी में सुधार लाए या सोते को खड़ा कर दे। मैंने कालान्‍तर में कई वरिष्‍ठ ज्‍योतिषियों और अपने साथियों से बात भी की। कुछ लोगों के दिमाग में स्‍पष्‍ट धारणा थी तो कई ने वैसे ही जवाब दिए जो वे अपने जातकों को देते थे। वास्‍तव में अधिकांश ज्‍योतिषी यह नहीं जानते कि उनकी भूमिका क्‍या है। जैसे एक चिकित्‍सक के पास जाते हैं और उसे रोग बताते हैं तो वह उपचार लिखकर दे देता है। अब रोगी पर निर्भर करता है कि वह कितनी गंभीरता से दवाएं लेता है, परहेज रखता है और बीमार करने वाली परिस्थितियों से दूर रहता है। चिकित्‍सक रोगी का रोग खुद नहीं ले सकता है। इसके उलट जो ज्‍योतिषी एक तरह से दावा करते हैं कि वे जातक का दुख दूर कर देंगे हो सका तो उनका दुख भी खुद ले लेंगे। यह मुझे इस परा विद्या के मामले में अतिरेक लगता है। हालांकि कई ज्‍योतिषियों ने यह तो बताया है कि एक आदर्श ज्‍योतिषी कैसा होना चाहिए, उसकी कुण्‍डली में क्‍या योग होने चाहिए या साइकोलॉजिकली वह कितना स्‍ट्रांग होना चाहिए। लेकिन ज्‍योतिषी और जातक के इंटरएक्‍शन में ज्‍योतिषी की क्‍या भूमिका होनी चाहिए इस पर अधिक नहीं दिया गया है। जैसा कि मुझे लगता है प्राचीन भारतीय मान्‍यता की तुलना में फलित ज्‍योतिष अपेक्षाकृत नया विषय है। ऐसे में ज्‍योतिषी की भूमिका के लिए नया प्रोटोकॉल ज्‍योतिषियों को ही बनाना पड़ेगा। वैसे एक जगह दक्षिण के प्रसिद्ध ज्‍योतिषी के.एस. कृष्‍णा‍मूर्ति ने एक जगह स्‍पष्‍ट किया है कि ज्‍योतिषी की क्‍या भ‍ूमिका हो सकती है। वे बताते हैं कि गहरी झील में नाव खे रहा जातक जब थक जाता है तो पास से गुजरता हुआ ज्‍योतिषी उसे यह संकेत दे सकता है कि कहां पानी उथला है और कितनी देर तक और उसे नाव खेनी पड़ेगी। यह बहुत स्‍थूल उदाहरण हुआ लेकिन इससे बहुत कुछ संकेत मिल जाते हैं। मेरा प्रबुद्ध ज्‍योतिषियों से आग्रह है कि वे इस विषय पर अपने विचार पेश करें…… यथा

संगीता पुरी जी ने कहा ….

…जहां तक मेरा मानना है कि एक ज्योतिषी को मानवतावादी होना चाहिए….कोई व्यक्ति उसके पास खुद की परेशानी लेकर आता है…..उसे मनोवैज्ञानिक तौर पर सम्बल प्रदान करना एक ज्योतिषी का काम है…..पर वह ऐसा न करे कि उसके विरोधियों की तकलीफ बढ जाए….वैसे तो एक ज्योतिषी के हाथ में यह सब होता ही नही ….हम जातको के सम्मुख सिर्फ लाल और हरी बत्ती दिखा सकते हैं…..हमारा काम लोगों को यह समझाना है कि उसे अपने कर्तब्यों का फल पूर्ण तौर पर कब से मिलने लगेगा।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ज्योतिष में भरोसा है, लेकिन आजकल गहरी समझ वाले लोग कम और भ्रमित करने वाले लोग ज्यादा हैं। मेरे एक लेखक मित्र के पिताजी जो खुद सरकारी नौकरी में हैं, शौकिया तौर पर सालों से ज्योतिष का अध्ययन कर रहे हैं। मित्र के कई बार कहने के बाद जब मैं उनसे मिला, तो उन्होंने कई सटीक बातें बताई। यहां तक कि दिन और तारीख भी बता दिए, जब कुछ घटना घटी थी।
    मैँने अपनी कुंडली पढ़ी थी, जब बारहवीं में पढ़ता था। उसमें लिखा था, यह सौ की कोशिश करेगा, तो पांच ही मिलेगा। तभी तय किया था कि कोशिश ही पांच सौ या हजार की करेंगे, पचास सौ तो मिलेगा। यही सोच कर हर काम करता हंू। एक बार कई ज्योतिषियों से एक साथ मिला। एक निजी मसले के बारे में। सबने अलग-अलग बात कही। सारे प्रकांड माने जाते हैं। पत्रकार हंू, इसलिए उन्हें मीडिया में खूब छापा जाता है, इसलिए आसानी से संपर्क हो गया। लेकिन सब खोखले निकले। मित्र के पिताजी और एक मंदिर के पुजारी जी ने जो सटीक बातें बताई, आज तक कोई नहीं बता पाया।
    अच्छा लगा आप गहन अध्ययन कर रहे हैं। ज्योतिष में वाकई अध्ययन करने वालों का अभाव है। आप ऐसे ही निरंतर आगे बढ़े हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

    जवाब देंहटाएं