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मंगलवार, जून 28, 2011

ज्‍योतिष के बदलते आयाम


ज्‍योतिष और इसके  फलादेशों के आयाम में भी नियमित रूप से परिवर्तन आ रहा है। पिछले कुछ समय में जातक कुण्‍डली दिखाने के बजाय सीधे अपनी समस्‍या से संबंधित प्रश्‍नों को ही लेकर आ रहे हैं। उन्‍हें इस बात की परवाह नहीं है कि उनका मूल स्‍वभाव क्‍या है या उनके श्रेष्‍ठ अंक, रंग या वार कौनसे हैं। लगातार मेहनत करने वाले लोग प्राथमिक स्‍तर पर समस्‍या का समाधान खुद करने का प्रयास करते हैं और निजी प्रयास विफल होने पर ज्‍योतिषी से केवल इतनी राय लेते हैं कि फलां काम में सफलता मिलेगी अथवा नहीं।
दूसरी ओर ज्‍योतिष के प्रति लोगों के बढ़ रहे रुझान के साथ मीडिया और कुछ ज्‍योतिष संस्‍थानों ने ऐसे भ्रम फैलाए हैं कि लोगों को लगता है कि जिंदगी के हर क्षेत्र में ज्‍योतिष का दखल है। हकीकत में जीवन में होने वाली हर घटना की समीक्षा और गणना ज्‍योतिष के जरिए की जा सकती है, लेकिन न तो ज्‍योतिषियों के पास इतना समय है और न ही जातकों के पास कि छोटी मोटी बातों के विश्‍लेषण के लिए वे ज्‍योतिषियों के चक्‍कर निकालें।
विकासशील जातक
विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहे लोगों के सवालों में प्रमुख है कि मेरा अगला प्रमोशन कब तक होगा, व्‍यवसाय में आ रही बाधा का निवारण कैसे होगा, सर्कुलेशन में फंसा पैसा कब तक निकलेगा, जिस काम में लगा हूं उसमें सफलता मिलेगी या नहीं। इनमें से अधिकांश इमानदार सवालों के सीधे सपाट हां या ना में जवाब आ रहे हैं। कुछ मामलों में इतनी स्‍पष्‍ट तारीख आती है कि जातक स्‍वयं भी वही अनुमान लगा रहा होता है।
सालों से खड़ी समस्‍याएं
दूसरी ओर कुछ जातक ऐसे हैं जो विकास के कार्यों के बजाय समस्‍याएं देखने में अधिक रुचि दिखाते हैं। अर्से से खाली बैठा जातक पूछता है कि उसे सफलता किस दिशा में मिलेगी। वास्‍तव में यह कोई सवाल ही नहीं है। ज्‍योतिष के जरिए सफलता का क्षेत्र बताया जा सकता है, लेकिन दिशा का कोई तात्‍पर्य नहीं है। इसी तरह मुझे किससे लाभ होगा, बॉस से बनती नहीं है, सालों से समय खराब है कब सुधरेगा, पत्‍नी का स्‍वभाव खराब है। ऐसी स्थिति में जातक ज्‍योतिषी को तांत्रिक समझकर उससे दूसरे लोगों और परिस्थितियों को दुरुस्‍त करने का आग्रह करने लगता है।
अधूरे सवाल और गलत ईमेल आईडी
प्रश्‍न वाले बक्‍से से आ रहे सवालों में कई तरह की दिक्‍कतें आ रही हैं। पहला तो यह कि कई जातक अपनी ईमेल आईडी सही नहीं लिख रहे हैं। इसका नुकसान स्‍वयं जातक को होता है। अगर ईमेल आईडी सही नहीं होगी तो पाराशराज की ओर से जवाब भेजने का कोई क्रम नहीं बन पाएगा। इसी तरह अपने जन्‍म डाटा सही या अधूरे भरकर भेजने वाले लोगों की भी कमी नहीं है। पिछले एक महीने में करीब सौ लोगों ने अधूरे सवाल या डाटा भेजे हैं। इनमें से जिन जातकों की ईमेल आईडी सही थी उन्‍हें फिर से डाटा भेजने के लिए कहा गया है, लेकिन जिनकी आईडी ही गलत थी, उनकी समस्‍याएं गंभीर होने के बावजूद पाराशराज को उन्‍हें डिलीट करना पड़ा।
ध्‍यान रखें - बक्‍से में सवाल और डाटा भरते समय अपना नाम, जन्‍म तिथि, जन्‍म समय और जन्‍म स्‍थान के अलावा ईमेल आईडी ध्‍यानपूर्वक भरें। इनमें गलती होने से आगे का संवाद प्राथमिक स्‍तर पर ही खत्‍म हो जाता है।
विस्‍तार से रखें अपनी बात
समस्‍या अथवा जिज्ञासा के बारे में लिखते समय जातक अपनी बात विस्‍तार से लिखेंगे तो पाराशराज को प्रश्‍न का उत्‍तर तैयार करने में आसानी रहेगी। मसलन आगे के अच्‍छे समय के बारे में जानकारी मांगने के साथ ही अगर जातक पहले की कुछ सिलसिलेवार घटनाओं को मय तारीख बताए तो ज्‍योतिषी के लिए एक ओर अध्‍ययन का विषय बनता है तो दूसरी ओर सटीक फलादेश निकालने में मदद मिलती है। अगर आप केवल इतना लिखकर भेजे हैं कि मेरे बारे में बताइए तो इस सवाल का जवाब व्‍यवहारिक तौर पर देना संभव नहीं है। पाराशराज एक प्रोफेशनल यूनिट है। यह न तो किसी दूसरे जातक को आपके बारे में जानकारी देता है और न आपको किसी दूसरे जातक की। ऐसे में आप द्वारा पाराशराज को दी गई सारी जानकारियां संबंधित ज्‍योतिषी तक ही सीमित रहती हैं। जिस प्रकार रोग के इलाज के दौरान आप चिकित्‍सक को अपने रोग के बारे में विस्‍तार से जानकारी देते हैं, उसी प्रकार आप ज्‍योतिषी को भी विस्‍तार से अपने जीवन की बातें बताएंगे तो अधिक सक्षम विश्‍लेषण संभव हो पाएगा।

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