ज्योतिष की कक्षा में हम राशियों का परिचय प्राप्त कर रहे हैं। पूर्व के लेखों में हम मेष, वृष, मिथुन और कर्क राशियों पर चर्चा कर चुके हैं। इस कक्षा में हम बात करेंगे सिंह और कन्या राशि की। अब तक जिन पाठकों ने फण्डामेंटल प्रिंसीपल ऑफ एस्ट्रोलॉजी पुस्तक का हिन्दी अनुवाद ज्योतिष के आधारभूत सिद्धांत खरीद ली है, वे मेरे इन लेखों के साथ तेजी से आगे बढ़ सकते हैं और जो पाठक केवल इन लेखों के भरोसे हैं, उन्हें केवल राशियों का फौरी परिचय ही मिल सकेगा। सालने वाली बात यह है कि हर लेख में इक्का दुक्का कमेंट और पांच सात मेल के अलावा पाठकों का रुझान नहीं मिल पा रहा है। एक ओर जहां ज्योतिष से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत शिद्दत से महसूस की जाती है वहीं इस विषय को विषय के तौर पर पढ़ने और समझने वाले लोगों की कमी खलती है। मैं अब देरी से आए पाठकों से भी आग्रह करूंगा कि वे पूर्व में बताई गई पुस्तकों को शीघ्र खरीदें और अठारह लेखों की इस शृंखला के दौरान अधिक से अधिक सवाल जवाब तक सीखने का प्रयत्न करें। एक बात और पिछले लेखों में एक दो लोगों ने जिसासा प्रकट की थी कि राशियों का प्रभाव लग्न से देखा जाए या चंद्रमा से। इस बारे में मैं बहुत पहले बता चुका हूं, यहां पुनरावृत्ति कर देता हूं कि लग्न और राशि में से जो अधिक प्रबल होगा उसी राशि का प्रभाव जातक पर अधिक दिखाई देगा।
जंगलों और वीराने में घूमते ‘सिंह’
सिंह राशि से प्रभावित जातकों की यह सबसे बड़ी विशेषता होती है। इस राशि पर सूर्य का प्रभाव है। अग्नि तत्व की यह राशि शुष्क, पुरुष, धनात्मक और स्थिर है। चंद्र, मंगल और गुरु सूर्य के मित्र होने के नाते सिंह में आने पर मित्रक्षेत्री होते हैं और शनि, शुक्र और बुध शत्रुक्षेत्री। सिंह राशि के जातकों की हड्डियां उन्नत होती हैं, कंधे और माथा चौड़े होते हैं। ये जातक बैठे हुए ठिगने दिखाई देते हैं। इसका कारण यह है कि इनका धड़ छोटा और टांगें लम्बी होती हैं। जब ये उठकर खड़े होते हैं और औसत से अधिक कद के होते हैं। जिन जातकों की कुण्डली में सूर्य और गुरु की अच्छी युति होती है वे परपीड़ा को समझने में कामयाब होते हैं। चिकित्सकों और बेहतर प्रशासकों की कुण्डली में यह योग प्रमुखता से दिखाई देता है। सूर्य का प्रभाव होने से जातक अपने आध्यात्मिक उत्थान का अपने स्तर पर प्रयास करते हैं। इसी कारण सिंह राशि वाले जातक जंगलों या वीराने अथवा पहाड़ों में अकेले घूमते हुए देखे जा सकते हैं। इनका संगीत, नाटक और खेल से लगाव होता है। ये स्पष्ट वक्ता, उन्मुक्त और निष्पक्ष होते हैं। न क्षुद्र व्यवहार करते हैं और न दूसरों का ऐसा व्यवहार बर्दाश्त कर पाते हैं। इसी कारण समूह में इनकी भूमिका सदैव नेतृत्व की ही रहती है। ये सामान्यता उच्च पद अथवा समाज में ऊंचा दर्जा पाने का प्रयास करते नजर आते हैं। इनके लिए साख ही सबकुछ है इसलिए साख बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहते हैं। इनके लिए रविवार का दिन शुभ है, सोमवार को धन का व्यय होता है और मंगलवार को बड़ी सफलताएं प्राप्त करते हैं। बुधवार को भाग्य साथ देता है। शनिवार को धोखा खाते हैं। शुभ रंग नारंगी है और शुभ अंक एक। माणिक और पन्ना पहनने से भाग्य में बढ़ोतरी होती है।
अत्यधिक विश्लेषण से परेशान करने वाले कन्या जातक
आपको भी कभी न कभी ऐसे व्यक्ति मिले होंगे जो छोटी सी बात को बहुत अधिक विस्तार से समझते और समझाते हैं। एक बार गलती से भी इन लोगों को सामान्य बात का विश्लेषण पूछ लिया जाए तो घंटों तक उस तथ्य की चीरफाड़ करते रहते हैं। ये कन्या जातक के लोग हैं। कन्या राशि का स्वामित्व बुध के पास है। यहीं पर बुध उच्च का भी होता है। सो ये लोग किसी न किसी रूप में फायनेंस, पब्लिकेशन या अन्य पढ़ने लिखने के काम से जुड़े हुए होते हैं। अपने प्रोफेशन में भले ही अपनी विश्लेषण क्षमता के कारण ये लोग पूछे जाते हों, लेकिन सामाजिक तौर पर इनकी स्थिति एक समय बाद यह हो जाती है कि लोग बात करने से कतराने लगते हैं। अगर कन्या जातक खुद पर कंट्रोल रखना सीख लें तो इनके आकर्षक और सम्मोहित करने वाला जातक ढूंढना मुश्किल है। ये लोग दिमाग अधिक काम में लेते हैं सो शरीर का इस्तेमाल कम से कम करने का प्रयास करते हैं। इन्हें आराम की अवस्था पसंद है। बुध के पूरे प्रभाव के चलते ये लोग नए कपड़े भी पहने तो वे मैले जैसे दिखाई देंगे। बुध का प्रभाव लग्न पर अधिक हुआ तो दांत भी गंदे दिखाई देंगे। यहां बुध उच्च और शुक्र नीच होता है। यानि सांसारिक साधनों से अधिक इन लोगों को ज्ञान की परवाह होती है। जातक लम्बा, पतला, आंखें काली, भौंहें झुकी हुई, आवाज पतली और कर्कश होती है। हमेशा तेज चलते हैं और अपनी उम्र से कम के दिखाई देते हैं। ये लोग लेखा कार्यों में होशियार होते हैं और अपनी नौकरी लाभ के अवसर के अनुसार लगातार बदलते रहते हैं। कार्यों को इतनी अधिक सावधानी से करते हैं कि हर काम में पुनरावृत्ति तक करने को तैयार रहते हैं। ताला बंद करेंगे तो दो बार चेक करेंगे। पत्र लिखेंगे तो गीले गोंद लगे पत्र को फिर से खोलकर पढ़ेंगे। इन लोगों को अपने स्वास्थ्य को लेकर वार्तालाप करना पसंद होता है। इतना अधिक कि छोटी सी बीमारी को लेकर घंटों और दिनों तक बातें कर सकते हैं। उसके हर एक पहलु पर इतना विस्तार से वर्णन करते हैं कि सुनने वाला ही भाग खड़ा हो। व्यावसायिक प्रवृत्ति के कारण धन के प्रति सावधान होते हैं। इन लोगों को किसी भी ट्रस्ट या संस्थान में कोषाध्यक्ष बनाया जा सकता है। इनके लिए शुभ रंग हरा और शुभ दिन बुधवार होता है। भाग्य को बढ़ाने के लिए इन लोगों को पन्ना, मोती और हीरा पहनना चाहिए।
राशियों का मूल स्वभाव है यह
मैंने राशि के जो गुण बताए हैं वे लग्न अथवा चंद्रमा होने पर प्रकट होते दिखाई देते हैं। अन्यथा राशि जिस भाव में होगी वैसे ही भाव के गुणों में परिवर्तन आएगा। यहां राशि के मूल स्वभाव दिए जा रहे हैं। क्रूर अथवा सौम्य राशियों का प्रभाव होने अथवा केन्द्र व त्रिकोण जैसे भावों में होने पर इनमें कुछ अंतर भी आता है। उनकी गणना अलग से की जाएगी। पहले राशि से परिचय हो जाए। फिर ग्रहों और भावों के परिचय होने के बाद सम्पूर्ण कुण्डली का समग्र विश्लेषण किया जाएगा। तब तक पाठक राशियों के मूल स्वभाव से ही परिचित हों। कहीं-कहीं हो सकता है कि पाठकों को अपने गुण मिलते हुए लगें, लेकिन ये अपना पूरा प्रभाव अपनी दशा अथवा अंतरदशा में देते हैं, भले ही मूल स्वभाव इससे इतर हो।
अगली कक्षा में हम बात करेंगे तुला और वृश्चिक राशियों की...
जानकारी से भरा हुआ लेख,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा काश हमे भी किसी आप जैसे का साथ मिला होता , चलो एसे ही सही उस पिता का धन्यवाद की आप जैसे से से इस धरती पर किसी रूप में तो मिले ,,,,,,? शुभ कामनाओं सहित पिताशिव आप को कामयाबी जीवन भर दे ,
जवाब देंहटाएंye ketaben delhi main kahan melangi nai sadak main to ek bhi mili nahi
जवाब देंहटाएं