गुरु, शिक्षक, पथ प्रदर्शक और ऐसे ही सैकड़ों नाम उस इंसान को दिए गए हैं जो हमारी जिंदगी का मार्ग प्रशस्त करता है। एक व्यक्ति के लिए उसे अपना गुरु मिल जाने से बेहतर और कोई नहीं है।
मैं पहले भी एक बार उल्लेख कर चुका हूं, लेकिन शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में एक बार फिर उन गुरुओं का स्मरण करते हुए मैं दोहराना चाहूंगा.. हालांकि जिंदगी का शुरूआती ज्ञान देने वाली माता होती है, और वही हमारी प्रथम शिक्षक होती है, फिर भी सामाजिक जीवन के लिए शिक्षा देने के लिहाज से गुरु चार प्रकार के होते हैं..
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अध्यापक: जो हमें शिक्षा का आरम्भिक ज्ञान देते हैं। ये शिक्षक क, ख, ग, घ, ड़ या ए, बी, सी, डी जैसे अक्षर ज्ञान, पढ़ने का तरीका और ऐसे ही शुरूआती ज्ञान से अवगत कराते हैं। आज के दौर में ऐसे शिक्षकों को प्राइमरी स्कूल टीचर कहा जाता है। नर्सरी से आठवीं कक्षा तक हम ऐसा ही शुरूआती ज्ञान प्राप्त करते हैं।
श्रोत्रिय : हमें आगामी जीवन में काम आने वाले विशिष्ट विषयों के बारे में विस्तार से किताबी जानकारी देते हैं। अब तक गुरुओं और ऋषियों द्वारा संचित ज्ञान श्रोत्रिय अपने शिष्यों पहुंचाते हैं। आज के दौर में माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर के शिक्षकों को श्रोतिय की श्रेणी में रखा जा सकता है। अब अंतर इतना है कि ऋषियों द्वारा अर्जित ज्ञान छात्रों तक पहुंचाने के बजाय बोर्ड और यूनिवर्सिटी द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम छात्रों तक पहुंचाने का उपक्रम होता है।
उपाध्याय : हमें अर्जित किए गए किताबी ज्ञान को दैनिक जीवन में उपयोग की विधियों के बारे में बताते हैं। वास्तव में किताबी ज्ञान और वास्तविक जिंदगी में कुछ अंतर होता है। समय के साथ यह अंतर भी बढ़ता जाता है। इस अंतर को समझाने और ज्ञान के व्यवहारिक उपयोग के लिए उपाध्याय ही शिष्यों को अपडेट करते हैं। आज के दौर में साइंटिस्ट, मैनेजमेंट गुरु और कुछ विश्वविद्यालयी शिक्षक निजी तौर यह प्रयास करते हैं, वरना इंजीनियरिंग और शिक्षा की दूसरी फैकल्टी से निकल रहे छात्र इंडस्ट्री के लिए उतने उपयोगी नहीं सिद्ध हो पा रहे हैं, क्योंकि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में उपाध्याय की उपादेयता करीब करीब समाप्त बता दी गई है।
आचार्य : शिक्षकों की शृंखला में यह आखिरी कड़ी है। पर मजे की बात यह है कि ये शिक्षक अपने शिष्यों को कुछ भी नहीं सिखाते हैं। शिष्य अपने आचार्य के साथ ही रहता है। आचार्य का आचरण ही शिष्य के लिए शिक्षा होता है। आचार्य के आचरण को सीख लेने के बाद शिष्य पारंगत हो जाता है। आज के दौर में आचार्य नहीं है। शिक्षक खुद निर्णय करें कि वे आचार्य की पदवी पर बैठने के कितने अधिकारी हैं।
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हालांकि शिक्षक दिवस शिक्षकों का सम्मान किए जाने का दिन है, लेकिन शिक्षकों के क्रूर विश्लेषण का दायित्व भी स्वयं शिक्षकों का है। इस आत्मविश्लेषण से वे अगर बचने का प्रयास करेंगे तो न केवल स्वयं का नुकसान करेंगे, बल्कि राष्ट्र को अधिक नुकसान पहुंचाएंगे। क्यों न आज के दिन मेरी पोस्ट पर आने वाले शिक्षक अपना आत्मविश्लेषण करें। मैं खुद भी एक छात्र का शिक्षक हूं, सो मैं भी इसी प्रक्रिया से गुजर रहा हूं...
शब्दकोष में शिक्षक
हरदेव बाहरी बताते हैं - शिक्षक- सं (पु.) विद्या या ज्ञान सिखाने वाला व्यक्ति (जैसे राजनीतिक शिक्षक, कला शिक्षक) 2 अध्यापक 3 गुरु
विकीपीडिया के अनुसार - A teacher (or, in the US, educator) is a person who provides education for pupils (children) and students (adults). The role of teacher is often formal and ongoing, carried out at a school or other place of formal education. In many countries, a person who wishes to become a teacher must first obtainspecified professional qualifications or credentials from a university or college. These professional qualifications may include the study of pedagogy, the science of teaching. Teachers, like other professionals, may have to continue their education after they qualify, a process known as continuing professional development. Teachers may use a lesson plan to facilitate student learning, providing a course of study which is called the curriculum. A teacher's role may vary among cultures. Teachers may provide instruction in literacy and numeracy, craftsmanship or vocational training, the arts,religion, civics, community roles, or life skills. A teacher who facilitates education for an individual may also be described as a personal tutor, or, largely historically, a governess. In some countries, formal education can take place through home schooling. Informal learning may be assisted by a teacher occupying a transient or ongoing role, such as a family member, or by anyone with knowledge or skills in the wider community setting. Religious and spiritual teachers, such as gurus, mullahs, rabbis, pastors/youth pastors and lamas, may teach religious texts such as the Quran, Torahor Bible.
मुफ्त डिक्शनरी कहती है - One who teaches, especially one hired to teach. (Business / Professions) a person whose occupation is teaching others, esp children. tuition - First meant taking care of something, then teaching or instruction, especially for a fee.
Sidharth g now a days true guru is rare to find we should hope that this teacher's day will surely brig some dedicative guru to serve the human being again nice to see ur pleasent smile God bless you
जवाब देंहटाएंसहज व्याख्या।
जवाब देंहटाएंसार्थक विश्लेषण !
जवाब देंहटाएंसभी गुरुओं को प्रणाम !