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रविवार, अक्टूबर 05, 2025

पुरुष पुरातन की वधू

लक्ष्‍मी के बारे में कहा गया है पुरुष पुरातन की वधू क्‍यों न चंचला होए। समुद्र मंथन से निकली इस विष्‍णु की पत्‍नी के पास धन, वैभव और ऐश्‍वर्य का खजाना है, लेकिन इसे जो चाहिए वह है मान। यानि लक्ष्‍मी का सम्‍मान नहीं किया जाए तो यह रूठ जाती है। शेयर बाजार में काम करने वाले दो तरह के निवेशकों को मैं जानता हूं। एक वे जो अपने निवेश से बाजार में ऐसा आकर्षण पैदा करते हैं कि बाकी दूसरे लोग निवेश करने पर आमादा हो जाते हैं। दूसरे वे जो बाजार से आकर्षित होकर निवेश करते हैं।

आकर्षित होकर निवेश करने वाले कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बाजार में पैसा बनाते हैं तो अधिकांश ऐसे होते हैं जो पैसा खोते हैं। ऐसा नहीं है कि संस्‍थागत निवेशकों के कारण चढ़े हुए बाजार में ही ये लोग पैसा लुटा रहे हों, बहुत बार ऐसा भी होता है कि बाजार सामान्‍य चल रहा होता है और किसी ऐसी कंपनी में पैसा फंसाकर बैठ जाते हैं जहां से लाभ की बजाय हानि की आशंका बढ़ती जाती है। बाद में गिरे हुए भाव में अपने शेयर बेचकर पैसा निकालना पड़ता है।

बाजार क्‍यों और कब गिरता है। उसके संकेत कैसे मिल सकते हैं इसके बारे में मेरे लिए बताना मुश्किल ही नहीं असंभव है। लेकिन व्‍यक्तिगत स्‍तर पर यह बताया जा सकता है कि बाजार गिरे या उठे आप लाभ कैसे कमाएं। इसका एक छोटा फार्मूला यह है कि जब किसी व्‍यक्ति की कुण्‍डली में व्‍ययेश की दशा चल रही हो उस समय निवेश कराया जाए और लाभेश की दशा आने पर बाजार से बाहर निकलने की सलाह दी जाए। यानि जब लक्ष्‍मी के हाथ से निकलने का समय हो तब निवेश करके पैसे को खुद से दूर भेज दो और जब लक्ष्‍मी वापस घर आना चाहे यानि एकादशेश की दशा हो तो शेयर बेचकर पैसा घर ले आएं। चाहे बाजार इस प्रवृत्ति का विरोध भी करे तो एक व्‍यक्ति के लाभ और हानि की सीमित संभावना को इसमें बांधा जा सकता है।

बाकी बात रही बाजार में सर्वाइव करने की। यानि वहीं खड़े रहकर लगातार सौदे करके हानि-लाभ के बीच अधिक लाभ और कम हानि का चक्र चलाने की। जिन निवेशकों की कुण्‍डली में अच्‍छी दशा चल रही है उनके लिए यह स्थिति बनाना आसान है। जबकि विपरीत दशा वाले निवेशक कुछ उपाय कर आध्‍यात्मिक स्‍तर पर खुद को सुरक्षित कर सकते हैं। आमतौर पर ये मंगल के उपाय होते हैं।

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