कई लोगों को लगता है कि उनका पैसा बैंक में पडा सड़ रहा है तो कई लोग बाजार में पैसा लगाकर पछताते हैं। ऐसा एक ही व्यक्ति के साथ भी हो सकता है। यानि जब पैसा बैंक में हो तो उसे बाजार चढ़ता हुआ दिखाई देता है और जब पैसा बाजार में हो तो बैंक की ब्याज दरें अधिक आकर्षक नजर आती हैं। देखने में ऐसा लगता है कि यह व्यक्ति विशेष की मानसिकता से जुड़ा मसला है लेकिन गौर किया जाए तो यह महज टाइमिंग की समस्या है।
ज्योतिष की नजर में जब कुण्डली का दूसरा भाव ऑपरेट हो रहा हो तो पैसे को बैंक में पड़ा रहने देने में ही समझदारी है और जब ग्यारहवां भाव ऑपरेट हो रहा हो तो अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने के प्रयास करने चाहिए। हालांकि बहुत से व्यापारियों या कह दें पुराने बणियों को ज्योतिष की इन मूल बातों की जानकारी होती है। एक सामान्य व्यक्ति के समझने के लिए बता देता हूं कि भाव कुल बारह होते हैं और राशियां भी बारह होती हैं। ये क्रमश: मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन होती हैं। मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी मंगल, वृष और तुला का शुक्र, मिथुन और कन्या का बुध, कर्क का चंद्रमा, सिंह का सूर्य, धनु और मीन का गुरु और मकर व कुंभ राशि का अधिपति शनि होता है। जिस जातक को पता करना हो वह इन राशियों को घड़ी के आकार में जमा ले। मेष से मीन तक। जहां घड़ी की सुई एक बजाती है वहां मेष और जहां बारह बजाती है वहां मीन। इस तरह तैयार हो गई आपकी कुण्डली जिसमें भाव भी स्पष्ट नजर आएंगे। अब आपकी कुण्डली में जिस राशि में जो ग्रह बैठा है उसे उसी में टिका दें। एक जगह लिखा होगा लग्न। इस लग्न वाले अंक को सबसे ऊपर ले आए। इससे लग्न कुण्डली बन जाएगी। अब कुण्डली में देखें कि कौनसे ग्रह की दशा चल रही है। उदाहरण के तौर पर लें तो वृष लग्न के जातक की बुध की दशा चल रही हो। ऐसे में दूसरे भाव का अधिपति बुध हुआ तो ऐसे जातक को मोटे तौर पर बैंक या स्थाई बांड में अपनी अधिकांश राशि जमा रखनी चाहिए। इसी कुण्डली में अगर गुरु की दशा चल रही हो तो इस जातक को कई जगह निवेश कर अपने धन को बढ़ाने का अधिक से अधिक प्रयास करना चाहिए। क्योंकि गुरु एकादश भाव का अधिपति हुआ और यह धनलाभ के योग बनाएगा। इसी तरह हर कुण्डली का निर्णय निकाला जा सकता है।
सही टाइमिंग पर किया गया निवेश या बैंक में रखा गया धन अधिक से अधिक सुरक्षा और लाभ दिलाएगा। अब सवाल यह है कि किसी व्यक्ति का व्यापार चल रहा हो तो उसे दशाओं के अनुसार धन का क्या उपयोग करना चाहिए। इस पर चर्चा अगले लेख में...
मैने कहीं पढ़ा था कि वारेन बफेट अकूत कैश के ढेर पर बैठे रहे और सही समय का इंतजार करते रहे निवेश के लिये। शायद उनका अपना ज्योतिष होगा निवेश का सही समय जानने का।
जवाब देंहटाएंज्योतिष में अंतर्ज्ञान एक शाखा है, जो सही समय का अनुमान करती है, प्रकृति से मिले संकेतों का। जिन ज्योतिषियों के पास पर्याप्त संवेदनशीलता होती है वे इन संकेतों का आसानी से समझ लेते हैं। बाजार के बारे में वारेन बफेट की संवेदनशीलता को इसी तर्ज पर समझ सकते हैं। यही उनका ज्योतिष है बाजार को समझने का...
जवाब देंहटाएंऐसा मुझे लगता है।
Siddharth sir
जवाब देंहटाएंin Rahu maha and venus anter what should i do my self very confused same is happened as you stated in your above blog
my dob 26-11-1965
time 08.00 PM , NEW DELHI
Regards pls advice
SANJAY