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रविवार, अक्टूबर 05, 2025

उपायों का असर

ज्‍योतिष में उपायों के असर पर सालों से मंथन चल रहा है। एक ओर जहां भाग्‍य को पूर्व नियत मानकर बहुत से ज्‍योतिषियों ने उपायों को सिरे से खारिज कर दिया है, वहीं वैदिक ज्‍योतिष से लाल किताब तक हर स्‍तर पर उपायों की चर्चा की गई है। अगर तंत्र वाले हिस्‍से को छोड़ दिया जाए तो हम देखते हैं कि उपाय को फलित ज्‍योतिष के एक भाग के रूप में स्‍वीकार किया गया है।

अब सवाल यह उठता है कि क्‍या उपायों का असर होता है। अब तक के मेरे अभ्‍यास में मैंने देखा है कि उपायों का असर होता है। अब भले ही यह प्रारब्ध में ही क्‍यों न बंधा हो। जातक का ज्‍योतिषी के पास आना, ज्‍योतिषी का उपाय बताना और उस उपाय का लागू होना तक प्रारब्‍ध का हिस्‍सा हो सकता है। मैं उपचार बताता हूं और जातक को इसका लाभ दिखाई देता है, मैं इसका अर्थ लगाता हूं कि उपचार प्रभावी होते हैं। ज्‍योतिष सीखने के शुरूआती दौर में मैंने खुद ने कई रत्‍नों और लाल किताब के उपचारों को अपनाया। भले ही अपेक्षित परिणाम नहीं आया, लेकिन अवस्‍था और मानसिकता में भारी अंतर महसूस किया।

पहला असर मानसिकता पर

उपायों का पहला असर मैं जातक की मानसिकता पर देखता हूं। इसका एक कारण यह भी है कि जिन जातकों ने एक ज्‍योतिषी के तौर पर मुझे मान्‍यता दी और मेरे बताए उपचारों को पूरी श्रद्धा के साथ किया उन्‍हें तुरंत और अच्‍छे परिणाम हासिल हुए। कई बार तो इतने जल्‍दी कि मुझे खुद भी आश्‍चर्य हुआ। मैं किसी भी जातक को उपचार बताने के साथ एक तय अवधि भी देता हूं, जिसमें उस उपचार का लाभ न होने पर उपचार बंद करने की नसीहत शामिल होती है। तय तिथि से पहले उपचार का असर मिलना हर बार मेरे लिए सुखद अनुभूति होती है। अगर ज्‍योतिष यह कहती है कि जो भाग्‍य में लिखा है वह होकर रहेगा, तो इसी विषय ने यह भी सिखाया है कि जो कुछ पहले से बदा है उसके प्रभाव में कमी या बढ़ोतरी करना संभव है। अब यह कमी या बढ़ोतरी कितनी और कैसे होती है, इस बारे में कहीं स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। संभवत: यह जातक की श्रद्धा और प्रयासों पर भी निर्भर करता है। ऐसे में ज्‍योतिषी की भूमिका कुछ कम हो जाती है।

उपचार ही नहीं कर पाते

ऐसा नहीं है कि एक जातक ज्‍योतिषी के पास जाए, उससे उपचार के बारे में जानकारी ले और वापस आकर उपचार कर ले और आगत समस्‍याओं से बच जाए। कई बार उपचार बता देने के बाद भी जातक उपचार नहीं कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि जातक के मन में श्रद्धा नहीं है अथवा जातक उपचार करना नहीं चाहता, लेकिन उपचार करने में विफल रहने वाले अधिकांश जातक लौटकर बताते हैं कि घटनाओं का चक्र कुछ इस तरह चला कि वे उपचार कर नहीं पाए। वैदिक ज्‍योतिष में जहां केवल दान, पूजा और जप वाले ही उपचार थे, वहीं लाल किताब और सुनहरी किताबों में ऐसे सरल और वैकल्पिक उपाय बताए गए हैं जो हर कोई आसानी से कर सकता है। इसके लिए अधिक प्रयास करने की जरूरत भी नहीं है। इसके बावजूद जातक उपाय नहीं कर पाते हैं।

कहां से क्‍या उपचार

वैदिक ज्‍योतिष में उपचार के लिए दान और जप के उपचार बताए गए हैं। सूर्य के लिए सूर्य, बुध के गणेश, गुरु के लिए सरस्‍वती, शुक्र के लिए देवी उपासना, शनि के लिए शनि महाराज, मंगल के लिए हनुमानजी और चंद्रमा के लिए शिव आराधना के उपचार बताए गए हैं। इससे खराब ग्रहों का प्रभाव कम होता है और अच्‍छे ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है। दूसरी ओर दान के लिए ग्रहों से संबंधित वस्‍तुओं का दान करने से खराब प्रभाव का असर कम हो जाता है। अच्‍छे ग्रहों से संबंधित रत्‍नों और वस्‍तुओं को धारण करने की सलाह दी जाती है। जप के संबंध में ग्रहों की युति को लेकर भी देवताओं और अराधना के नियम तय किए गए हैं। इन्‍हें करने से शीघ्र लाभ होता है।

 

अगले लेख में हम उपचारों के संबंध में लाल किताब की भूमिका पर बात करेंगे। हालांकि लाल किताब को ज्‍योतिष की मुख्‍य ध्‍यारा से अलग माना गया है, लेकिन फिर भी उपचारों के मामले में लाल किताब की कोई तुलना नहीं है।

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