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रविवार, अक्टूबर 05, 2025

मन के उपचार का महीना - श्रावण

श्रावण मास में हम मन का उपचार अच्‍छी तरह कर सकते हैं। श्रावण मास का मन, चंद्रमा और शिव से क्‍या संबंध है। बेहतरी के लिए श्रावण मास में क्‍या किया जा सकता है आइए देखते हैं...

          मन की गति को कोई नहीं पकड़ सकता। यह मन ही है जो हमें सपने दिखाता है और उन्‍हें पूरे करने की ताकत भी देता है। मन में पैदा हो रहे विचार की शक्ति ही हमें पशुओं से अलग करती है। ये विचार ही हैं जो हमें सपनों के रूप में मिलते हैं और विचार ही हमें सपने पूरे करने की ताकत देते हैं। मन की इसी ताकत के कारण हम दूसरों से कुछ अलग होते हैं।

          ज्‍योतिष में मन का कारक चंद्रमा को बताया गया है। जिस तरह राशियों, नक्षत्रों और तारों के बीच चंद्रमा सबसे तेज रफ्तार का ग्रह है, ठीक उसी तरह मन की भी गति है। चंद्रमा पर शिव का अधिकार है। शिव की आराधना हमारे चंद्रमा को मजबूती देती है, इसी से हम अपने मन पर नियंत्रण करने में अधिक सक्षम हो पाते हैं।

         चंद्रमा की गति बहुत तेज है। हमारे विचार भी उसी गति से बदलते हैं। एक पत्र या ईमेल या फोन कॉल सुनते समय किसी व्‍यक्ति के दिमाग में कितने विचार आते-जाते हैं। पत्र, मेल या फोन आने पर व्‍यक्ति खुश होता है, उसी संदेश में दुख की बात होने पर दुखी होता है, उससे असंतोष भी उपजा लेता है और वार्तालाप आगे बढ़ने पर संतुष्‍ट भी होता चला जाता है। चंद्रमा का उपचार कर लिया जाए तो हम अपने मन पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

          मन पर नियंत्रण हमें क्रोध पर नियंत्रण, अवसाद से मुक्‍त रहने, उत्‍साहित बने रहने, लम्‍बी सोच की ताकत देने, नकारात्‍मकता को नियंत्रित करने, स्‍फुरित विचारों पर नियंत्रण, निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी और परिस्थितियों से सामना करने की ताकत देता है। मन पर नियंत्रण हमें चिंता से मुक्‍त रख सकता है। तेजी से दौड़ रही इस दुनिया में अधिकांश बीमारियों का कारण चिंता है। अगर चिंता न हो तो हम काम करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे और चिंता अधिक हो तो किसी काम को करने लायक नहीं रहेंगे। ऐेसे में मजबूत मन या मानसिकता हमें चिंता पर नियंत्रण का अधिकार देती है।

             चंद्रमा पर शिव का अधिकार है। पौराणिक दृश्‍यों में भी चंद्रमा को शिव के मस्‍तक पर शोभायमान बताया गया है। शिव की आराधना करने से हमारा चंद्रमा मजबूत होता है। इसीलिए श्रावण मास में ब्राह्मण रुद्र अष्‍टाध्‍यायी का पाठ कर शिव का प्रसन्‍न करने का प्रयास करते हैं। हर व्‍यक्ति रुद्री नहीं कर सकता। ऐसे में आम लोगों को शिव के महामंत्र का जाप करना चाहिए। यह मंत्र है “ऊं नम:‍ शिवाय”। हम अपनी आम जिंदगी में इसे इतनी बार और इतने स्‍थानों पर सुनते हैं कि लगता है कि सामान्‍य मंत्र है, लेकिन कर्मकाण्‍ड के प्रकाण्‍ड ज्ञाताओं से लेकर तांत्रिकों तक का मत है कि यह सर्वश्रेष्‍ठ और महान मंत्र है। किसी के मन को शांति देने के लिए इस मंत्र की एक माला का जप पर्याप्‍त है। जो जातक मन पर नियंत्रण चाहते हैं वे इस श्रावण मास में रोजाना सुबह अथवा शाम के समय शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल अथवा दूध की धारा प्रवाहित करते हुए इस मंत्र का जाप करते रहें। कहने की जरूरत नहीं है कि रिजल्‍ट अपने आप मिलेगा।

          श्रावण मास ही क्‍यों?

मानसूनी हवाएं भारत में उन ऋतुओं को बनाती हैं जिससे भारत देश विशिष्‍ट बना है। यही मानसून श्रावण मास में पूरे देश को बादलों से आच्‍छादित कर देता है। बादलों की उपस्थिति आम इंसान को सकारात्‍मक और नकारात्‍मक दोनों तरह से प्रभावित करती है। एक ओर जहां रिमझिम बारिश हमें ऊर्जा से सराबोर कर देती है तो दूसरी ओर अवसाद भी पैदा कर सकती है। बादलों का जमावड़ा गर्मी कम करता है, लेकिन महिलाओं में साइको-सोमेटिक अवसाद पैदा करता है। इसे वातावरण जनित अवसाद कहते हैं। यानि मौसम में आए बदलाव का मानसिकता पर जबरदस्‍त प्रभाव पड़ता है। इसी प्रभाव को न्‍यून करने के लिए श्रावण मास में व्रत करने, पूजा पाठ करने, विशेष तौर पर शिव आराधना करने और सादा भोजन करने की सलाह दी गई है।

          हर राशि और हर नक्षत्र का जातक किसी भी लग्‍न में पैदा हुआ हो, वह शिव आराधना कर सकता है। चंद्रमा मजबूत होने से किसी भी जातक को कोई नुकसान नहीं होता। यहां तक कि चंद्रमा को अष्‍टमेष का दोष भी नहीं लगता। ऐसे में हर व्‍यक्ति को श्रावण मास में शिव आराधना कर अपने मन को मजबूत करने का उपाय उत्‍साह से करना चाहिए।

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