
इसमें पहला तो है विषय का पुख्ता ज्ञान। एक नैसर्गिक ज्योतिषी जब ग्रहों, राशियों, भावों, इनके संबंधों और इनके जातक की जिंदगी के प्रभाव के बारे में पढ़ता है तो वह स्पष्ट रूप से इन्हें अलग-अलग समझ पाता है कि इनके जातक की जीवन और आपस में क्या संबंध हैं और परिणाम कैसे आ रहे हैं। शुरूआती दौर में कुण्डलियों का विश्लेषण उपलब्ध किताबी या श्रव्य ज्ञान को और धार देता है। बाद में हर ज्योतिषी अपने स्तर पर पुख्ता नियम बना लेता है। बाद में यही नियम फलादेश करने में उसकी सहायता करते हैं। जो लोग पैदाइशी या ईश्वरीय कृपा के साथ ज्योतिषी नहीं होते हैं उन्हें ग्रहों, राशियों और भावों का चक्कर उलझन में डाल देता है। मैंने ऐसे सैकड़ों उदाहरण देखे हैं।
दूसरा है ईश्वर प्रदत्त अंतर्ज्ञान - यह किसी भी ज्योतिषी के लिए सबसे महत्वपूर्ण बिन्दू है। एक ज्योतिषी केवल अपने चेतन मस्तिष्क की गणनाओं से फलादेश नहीं कर सकता। इसके दो कारण है। पहला गणनाओं का विशाल होना और दूसरा देश-काल और परिस्थितियों के लगातार बदलते रहने से इंटरप्रटेशन में बदलाव आना। इसके चलते ज्योतिषी केवल फौरी गणनाओं के भरोसे ही फलादेश नहीं कर पाता है। यहां अंतर्ज्ञान ज्योतिषी की मदद करता है। कई लोग अनुमान, कल्पना और अंतर्ज्ञान में भेद नहीं कर पाते हैं। ऐसे में वे ऊट-पटांग फलादेश करते जाते हैं। बाद में पता चलता है कि कोई भी फलादेश सटीक नहीं पड़ रहा है। ऐसे कुछ नौसिखिए ज्योतिषी ज्योतिष की पुस्तकों तो कुछ अपने गुरुओं को गालियां निकालकर बरी हो जाते हैं।
तीसरा है अनुभव - जैसा कि मैं ऊपर स्पष्ट कर चुका हूं कि ज्योतिष में इंटरप्रटेशन का बहुत महत्व है। ऐसे में काउंसलिंग के दौरान ज्योतिषी का अनुभव बहुत मायने रखता है। मेरा मानना है कि आधुनिक ज्योतिषियों को वर्तमान में उपलब्ध अधिकांश प्रचलित ज्ञान के बारे में जानकारी होनी चाहिए। अब संचार माध्यमों से यह सहज सुलभ भी है और भारत जैसे स्वतंत्र राष्ट्र में हर तरह की पुस्तक हर जगह उपलब्ध है। ऐसे में अपने ज्ञान के दायरे को बढ़ाते जाने से ज्योतिषी की धार भी मजबूत होती जाएगी। इसके बावजूद भी जीवन जीने से आ रहा अनुभव भी मायने रखता है। जिस ज्योतिषी की शादी नहीं हुई है वह किसी जातक के विवाह संबंध में आधारित प्रश्नों के किताबों में लिखे जवाब तो दे देगा, लेकिन उसका इंटरप्रटेशन इतना कमजोर होगा कि जातक तक सही संदेश पहुंचना संदेह के दायरे में ही रहेगा।
चौथा है खुद ज्योतिषी के योग - इस बारे में केएस कृष्णामूर्ति ने लिखा है कि ज्योतिषी दो तरह के होते हैं। एक गणित में होशियार तो दूसरे फलादेश में होशियार। भले ही गणित में होशियार ज्योतिषी को अधिक ज्ञान हो, लेकिन प्रसिद्धि फलादेश करने वाले ज्योतिषी को ही मिलेगी। ऐसे में किसी ज्योतिषी की कुण्डली में यह भी देखने की जरूरत है कि उसके भाग्य में प्रसिद्ध होना लिखा है कि नहीं। अगर प्रसिद्धि नहीं लिखी है तो लाख बेहतर फलादेश करने के बाद भी दुनिया उसे जानेगी नहीं।
नौसिखिए ज्योतिषियों के चुटकुले

- एक जातक ने ज्योतिषी को कुण्डली दिखाई। उस समय वह 22 साल का था। ज्योतिषी ने कुण्डली देखते ही कहा कि तुम्हारी कुण्डली का कारक ग्रह तो गुरु है। और गुरु की दशा से पहले तुम्हारे 55 साल की उम्र में मारक योग बन रहा है। ऐसे में तुम्हारी जिंदगी में भी अच्छा समय आएगा ही नहीं। तुम्हारी तो जिंदगी ही व्यर्थ है। अच्छे चेहरे-मोहरे और दोस्तों से घिरा रहने वाला वह जातक इतना डिप्रेशन में आ गया कि अगले दो महीने तक अपने कमरे से भी बाहर नहीं निकला।
- एक जातक को ज्योतिषी ने उपचार बताया कि आप तो शनि मंदिर में तेल का दीया जलाओ। हालांकि जातक के नाम से ही स्पष्ट था कि वह मुसलमान था, लेकिन ज्योतिषी ने तो जैसे फाइनल घोषणा ही कर दी कि शनि मंदिर में दीया जलाने से ही उपचार होगा, नहीं तो नहीं होगा। अब एक मुसलमान की आस्था उस मंदिर से जुड़ी ही नहीं है तो उपचार नहीं होना भी तय है, लेकिन किताब में ऐसा ही लिखा था, सो जातक को बता दिया गया

- बच्चा गुम होने के सवाल का जवाब खोज रहे ज्योतिषी ने किताब में पढ़कर बताया कि बच्चा अभी पांच फर्लांग की दूरी पर है। सवाल पूछने आए सज्जन ने पूछा कि पांच फर्लांग कितना होता है, तो ज्योतिषी ने स्पष्ट कह दिया कि किसी गणित के मास्टर से पूछ लेना। खैर, बाद में बच्चा करीब पैंतीस किलोमीटर दूर एक गांव में पकड़ा गया। ज्योतिषी ने यह नहीं समझा कि करीब अस्सी साल पहले लिखी गई किताब में पांच फर्लांग की दूरी तय करने में लगने वाला समय उतना ही हो सकता है जितना आज के दौर में बस में बैठकर पैंतीस किलोमीटर दूर पहुंचना। आखिर ज्योतिष गणना है तो समय की ही गणना।
- एक जातक से ज्योतिषी ने कहा कि तुम्हारी पत्नी का जन्म गण्डमूल नक्षत्र में हुआ है। ऐसे में पति और पत्नी की हमेशा लड़ाई रहेगी। जातक ने कहा लड़ाई तो नहीं होती। ज्योतिषी को प्वाइंट जीतना था, तो उसने कहा कि सास-बहू की खिच-खिच से घर में तनाव रहता होगा। अब जातक पकड़ में आ गया। वह ज्योतिषी की बात को लेकर इतना सीरियस हुआ कि कुछ दिन में घर में सचमुच लड़ाई रहने लगी और बाद में तो जातक के तलाक की खबर भी सुनी।
- एक जातक की कुण्डली के विश्लेषण से ज्योतिषी को पता चला कि अगर जातक ने हाथी की सवारी की तो उसे नुकसान हो सकता है। आव देखा न ताव ज्योतिषी ने निर्णय सुनाया कि आप कभी हाथी की सवारी मत करना, वरना दुर्घटना का शिकार हो सकते हो। गरीब जातक हंसा और कुण्डली लेकर चला गया।
- एक नए ज्योतिषी ने अपनी कुण्डली 'बड़े' ज्योतिषी को दिखाई। उन्होंने शनि मुद्रिका पहनने की सलाह दी। एक महीने में नए ज्योतिषी का समय सुधर गया और वह काम धंधे पर लग गया। नया ज्योतिषी इतना उत्साहित हुआ कि अपने साथ काम कर रहे अधिकांश लोगों की कुण्डली देखकर शनि मुद्रिका ही पहना दी। यह सोचकर कि मेरा भला हुआ है तो दूसरों का भी हो जाएगा।

इसके अलावा चांदी की अंगूठी में या गले के लॉकेट में मोती पहनाना, गायों को गुड़ डालना, बच्चें का लिंग निर्धारण, मृत्यु की तारीख बताना, भाग्योदय की दिशा (?) बताना, लॉटरी या मटके में निकलने वाला नम्बर बताना, नाम में बदलाव के सुझाव, जातक के परिवार के अन्य लोगों के लिए उपाय बताकर जातक को फायदा पहुंचाने जैसे उपचार भी नौसिखिए ज्योतिषी बताते रहते हैं। यहां तक कि सुने सुनाए किस्सों के आधार पर ज्योतिष के उपायों में तांत्रिक उपचारों का समावेश भी इन सालों में बहुत बढ़ गया है। इसमें लाल और काली किताब का बड़ा रोल है। इन ऊट-पटांग निर्णयों और क्रियान्वयन का पता भी बहुत बाद में लगता है, तब तक पुल के नीचे से बहुत सा पानी बह चुका होता है....
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jyotish gyan par apke dwara dee gayee jankari sangrahniy hai.vibhinna lagn kundali bhi prastut karen.aabhar.
जवाब देंहटाएंआज तक मैने ज्योतिषी को घास तक नही डाली, अजी घर मे घुसने नही दिया, हां अगर मित्र ज्योतिषी हे तो उस से कभी भी इस विषय मे बात नही की, ज्योतिषी सच हो या झुठ हमे कभी जरुरत नही पडी
जवाब देंहटाएंप्रभु आप का जल्दी लिखने के लिए धन्यवाद ,
जवाब देंहटाएं@ शालिनी जी लग्नों का विश्लेषण इतना विशिष्ट हो जाएगा कि आम पाठकों को रुचेगा नहीं। फिर भी मैं प्रयास करूंगा कि रोचक अंदाज में धीरे धीरे एक एक लग्न के बारे में स्पष्टता से लिखता जाऊं। आपकी रुचि के लिए आभार..
जवाब देंहटाएं@ राज भाटिया जी - अच्छा है कि आपने ज्योतिषियों को घर में घुसने नहीं दिया, वरना अभी तक आप पता नहीं कितने फितुर अपने दिमाग में लिए घूम रहे होते। अच्छा ज्योतिषी किसी के घर जाने के बजाय अपनी गद्दी पर बैठकर जातक के आने का इंतजार करता है, शिकार ढूंढ़ता हुआ घूमता नहीं है :)
जवाब देंहटाएं@ मनोज शर्मा जी, महोदय इन दिनों विचारों का क्रम बना हुआ है, इसलिए तेजी से लिखने का क्रम भी बना हुआ है। उम्मीद है आगामी कुछ दिन तक यह प्रयास जारी रहेगा...
जवाब देंहटाएंbhai sahab namaskar.mera naam bhaskar hai.25/8/1985,19:15 per mera janam rajim m.p. me huva hai.koun sa kaam karu please bataye na.aapka bhaskar.
जवाब देंहटाएंabhi bhujia khakar aaye hai bhujia acchhi the
जवाब देंहटाएंswad ke saath khai .......
balak teri kismat ka sitara bahut tej hai lakin.....bas yahi se suru hoti hai.....
rochak jaankari......
jai baba banaras..........
wonderfull post .................................such a great humour............................only astro loving can get the joke..................
जवाब देंहटाएंक्या आप हमारीवाणी के सदस्य हैं? हमारीवाणी भारतीय ब्लॉग्स का संकलक है.
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