फेंग शुई´ का शाब्दिक अर्थ `वायु-जल´ है। इस पद्धति में वातावरण का सन्तुलन स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि हमारे आस-पास ऊर्जा का अनन्त स्त्रोत है। यह ऊर्जा सकारात्मक या नकारात्मक होती है। फेंग शुई पद्धति नकारात्मक ऊर्जा को खत्म या कम करती है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है। इससे बाधाएं खत्म होती हैं और हमें सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है। इस पद्धति में इस्तेमाल होने वाले छोटे-छोटे यन्त्र आदि वास्तु दोषों का हल निकाल देते हैं। फेंगशुई पद्धति में संवेदनाओं को पैदा करने वाले सहायक उपकरणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। आप जो देखते, सुनते और महसूस करते हैं, उससे आपकी दिनचर्या पर भारी असर पड़ता है। ऐसे में मनमोहक सुगंध वाली अगरबत्तियों, खूबसूरत दृश्यों और बेहतरीन धुनों का इस्तेमाल करने की सलाहें दी जाती हैं। अच्छा वातावरण हमारे लिए अच्छा भाग्य लाने वाला सिद्ध होता है और इससे विपरीत स्थितियां हमें खराब स्थितियों में ले जाती हैं।
पवन घंटियां - स्वास्थ्य की मजबूती के लिए घर के प्रवेश द्वार पर बाइंड चाइम्स लगाएं। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। छह छड़ों वाली पवनघंटी लगाने का सबसे अच्छा स्थान उत्तरी पश्चिमी कोना है। पांच या सात छड़ों वाली पवनघंटी का इस्तेमाल भी किया जाता है। पांच छड़ें दुर्भाग्य को मोड़ देती हैं।
बैम्बू स्टिक – घर में समृद्धि लेकर आता है। -बेम्बू प्लांट युवा रहने का प्रतीक है, क्योंकि यह सदाबहार होता है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं आता। यह पेड़ हर मौसम में हमेशा सीधा खड़ा रहता है। और आंधी तूफान में भी यह हमें दृढ़ निश्चय के साथ खड़े रहना सिखाता है। यह विश्वास और स्थायित्व का प्रतीक है।
गोल्डफिश – छोटे मछलीघर या फिश बाऊल में घर में मछलियां रखना शुभ माना गया है। इसमें कुल नौ मछलियां होती हैं। इनमें से आठ सुनहरे या लाल रंग की होनी चाहिए और एक काले रंग की। किसी एक मछली के मर जाने पर नई मछली लाइए। सुनहरी मछली के मर जाने पर माना जाता है कि वह अपने साथ आपका दुर्भाग्य ले गई है। मछलीघर रखने का सबसे अच्छा स्थान दीवानखाना है। जीवित मछलियां नहीं लगा सकते, तो उसकी जगह नीले पानी में अटखेलियां करती डॉल्फिन का उपयोग किया जा सकता है।
घंटियां और चीनी सिक्के – घर के दरवाजे के हैण्डल में सिक्के लटकाने से घर में संपत्ति आती है। तीन पुराने चीनी सिक्कों को लाल रंग के धागे अथवा रिबन में बांधकर लटकाया जा सकता है। सिक्के घर के अंदर की ओर लटकाने चाहिए। दरवाजे के बाहर वाले हैण्डल पर अगर छोटी घंटी भी लटकाई जाए तो यह सौभाग्य को घर में लाता है।
हंसता बुद्ध – लाफिंग बुद्धा या हंसते हुए बुद्ध की मूर्ति को संपन्नता, सफलता और सौभाग्य लाने वाला माना जाता है। इसे मुख्य द्वारा के सामने करीब तीस फीट की ऊंचाई पर लगाने का प्रावधान है। यहां मूर्ति घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा का अभिनन्दन करती है। अगर ठीक सामने संभव न हो तो इसे कुछ किनारे पर भी रखा जा सकता है।
तीन टांग वाला मेंढक – मुंह में सिक्का लिए हुए तीन टांग वाले मेंढ़क को धनदायक माना जाता है। इसे घर के भीतर मुख्य द्वार के पास रखा जाता है, जैसे इसने अभी अभी धन लेकर घर में प्रवेश किया हो।
स्फटिक के गोले – फेंग शुई के मुताबिक घर का दक्षिणी पश्चिमी कोना प्रेम, रोमांस और स्नेह से संबंधित होता है। इस क्षेत्र की ताकत को बढ़ाने के लिए यहां स्फटिक के दो गोले रखे जाते हैं। अगर ये गोले बैठकखाने में हैं तो ये परिवार के स्नेह संबंधों में बढ़ोतरी करने वाले सिद्ध होते हैं। यह नकारात्मकता को सोख लेते हैं। ऐसे में सप्ताह में एक बार इन्हें नमक के पानी में रखकर इनका शोधन करना चाहिए। ताकि ये सक्रिय रहें। दक्षिण पश्चिम कोने में स्फटिक का झाड़ फानूस भी लगाया जा सकता है।
प्रेम परिंदे – दंपत्ति में प्रेम और रोमांस के साथ निष्ठा का भाव बढ़ाने के लिए प्रेमी परिंदों के जोड़े श्रेष्ठ है। घर के दक्षिण पश्चिम में बतखों, तोता-मैना अथवा ऐसे ही जोड़ों की तस्वीरें लगाकर आप जीवन में प्रेम भाव को बढ़ा सकते हैं।
फुक-लुक और साउ – चीन के हर घर में तीन देवताओं की मूर्तियां दिखाई देंगी। फुक समृद्धि, लुक उच्च श्रेणी और साउ दीर्घायु देते हैं। इन देवताओं की पूजा नहीं की जाती, ये प्रतीकात्मक रूप से घरों में रखे जाते हैं। इनकी उपस्थिति ही भाग्य को बढ़ाने वाली होती है।
हिमालय का प्रभाव
भारतीय वास्तु और चाइनीज फेंग शुई में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा की दिशा को लेकर कुछ भिन्नताएं हैं। इसका प्रमुख कारण हिमालय नजर आता है। मंगोलिया और अन्य उत्तरी क्षेत्रों से आने वाली सर्द हवाओं को रोककर हिमालय ने भारत के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार किया। इससे न केवल नदियों का पानी मिल रहा है, बल्कि सर्दी का असर भी बहुत हद तक कम रहता है। ऐसे में उत्तरी और पूर्वी दिशाओं को भारत में शुभ माना जाना नैसर्गिक ही दिखाई देता है। दूसरी तरफ चीन के दक्षिण और पश्चिम में हिमालय उन्हें इतना अधिक देता है कि वहां इन्हीं दिशाओं को शुभ मान लिया गया है। ऐसे में भारतीय वास्तु और चाइनीज फेंगशुई में दिशाओं को लेकर भेद बना हुआ है। दिशाओं को छोड़कर ऊर्जा की बात करें तो हम इन चाइनीज खिलौनों से अपनी भाग्यवृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
यह लेख पिछले दिनों राजस्थान पत्रिका में छपा था। उसका लिंक
http://epaper.patrika.com/18466/Rajasthan-Patrika-Bikaner/05-12-2011#page/10/2
इनमें कई वस्तुयें घर में प्रवेश कर चुकी हैं।
जवाब देंहटाएंचमत्कार की प्रतीक्षा है!
ज्ञान जी, चमत्कार तो प्रतिपल घट रहा होगा, निश्चय ही दृष्टि विकसित करने की जरूरत है... :)
जवाब देंहटाएंkoi chamtkar nahi ho raha
जवाब देंहटाएंचमत्कार के लिए क्या किया आपने :)
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