आपकी जिन्दगी में कल क्या होने वाला है, आज क्या हो सकता है, आज का दिन कैसा जाएगा, आने वाला साल कैसा होगा और जीवन की आगामी घटनाएं क्या हो सकती हैं, इन सभी बातों के बारे में समाचार पत्रों और टेलीवीजन पर धडल्ले से जानकारी देने वाले यह नहीं बता पाए कि जापान में भूकम्प के कारण सूनामी आने वाला है।
हो सकता है आपको लगे कि मैं अचानक ज्योतिष की बुराई क्यों करने लगा हूं, लेकिन वास्तव में मैं उन ज्योतिषियों की बुराई करने का प्रयास कर रहा हूं, जो पूरे समूह का भविष्य एक साथ बताते हैं और छह अरब की जनसंख्या का भविष्य बारह राशियों में समेट देते हैं। ऐसे में उन्हें अलग अलग राशियों वाले हजारों जापानियों का ख्याल नहीं आया होगा, जो सूनामी की चपेट में आए।
हालांकि यह भी शोध का विषय है कि
क्या सूनामी में मरने वाले अधिकांश लोगों की कुण्डली में मृत्यु का योग बन रहा था
क्या किसी व्यक्ति को इस प्राकृतिक आपदा का पूर्वाभास हुआ था
क्या सम्पत्तियों के इतनी बड़ी मात्रा में नष्ट होने का योग बन रहा था
क्या इसके लिए पहले से कोई योग बना हुआ है या नई व्युत्पत्ति करनी होगी
क्यों ज्योतिषियों ने एक महीने या पंद्रह दिन पहले ही इसकी घोषणा नहीं की
जब तक सूनामी की बात हो तो इन सवालों में सीमित रहा जा सकता है, लेकिन बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, नाभिकीय रिसाव, प्लेग और किसी विशेष आबादी में कैंसर और एड्स का प्रकोप बढ़ने के सवाल एक बार फिर मण्डेन ज्योतिष का रास्ता खोलने की मांग करते हैं।
विज्ञान से अलग कर देने के बाद ज्योतिष के फलित भाग को जैसे नकार ही दिया गया है। प्राचीन पाराशरी, जैमिनी, नाड़ी और सारावली जैसे ग्रंथों के बाद जैसे ज्योतिष के विषय में शोध कार्य बन्द ही हो गया है। हेमवंता नेमासा काटवे और के एस कृष्णामूर्ति ने अपने स्तर पर प्रयास किए। काटवे कोई स्कूल स्थापित नहीं कर पाए और कृष्णामूर्ति नेटल कुण्डलियों से बाहर नहीं आए। इसका दुष्परिणाम यह है कि आज भी मौसम और सामूहिक घटनाक्रम के अलावा प्राकृतिक आपदाओं के लिए हमें लोक कहावतों और अस्पष्ट फलादेशों से जूझना पड़ रहा है। कोई स्पष्ट रूप से यह नहीं बता पाता है कि पंजाब, हरियाणा, विंध्याचल, आसाम या उत्तराखण्ड में आगामी दिनों में क्या होने की आशंका या सम्भावना है। कुछ पंचांगकर्ता इस बारे में फलादेश भी जारी कर रहे हैं तो वे इतने अस्पष्ट हैं कि किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सकता। ऐसे में मेरा मानना है कि जल्द ही ज्योतिष से जुड़े संस्थानों को व्यक्तिगत कुण्डलियों को छोड़ इस क्षेत्र में अध्ययन के गम्भीर प्रयास शुरू करने चाहिए। सूचना क्रांति के बाद अब डाटा का संग्रहण और कम्प्यूटर के चलते गणनाओं का काम भी आसान हो गया है। ऐसे में तेजी से शोध कार्य शुरू किए जाएं और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया जाए तो मण्डेन के क्षेत्र में भी कुछ सार्थक परिणाम हासिल हो सकते हैं।
ज्योतिष के जरिए मानव जाति के सामूहिक हित की मण्डेन एक सफल पद्धति है।
काश!! इस दिशा में सार्थक कार्य हों..
जवाब देंहटाएंभले ही मैं ज्योतिष पर विश्वास नहीं करता हूँ पर मुझे भी लगता है कि इस दिशा में सब कुछ ठहरा हुआ है, कोई नई शोध सामने नहीं आ रही है, ज्योतिषों को इस कला का नाश होने से रोकना चाहिए
जवाब देंहटाएंसिद्धार्थ जी,
जवाब देंहटाएंबाकी पद्धति वाले न सही, कम से कम मण्डेन पद्धति वाले किसी ज्योतिषी ने तो की होती भविष्यवाणी!
बहुत अच्छा सोचा है आपने
जवाब देंहटाएंek jyotishee ho kar bhee aapne ye saval uthaya ,achchha laga
जवाब देंहटाएंअनुराग जी मण्डेन ज्योतिष वाले ज्योतिषी कहीं बाहर के नहीं होते, वास्तव में जातक कुण्डली का विश्लेषण करने वाले ज्योतिषी ही मण्डेन का अध्ययन बखूबी कर सकते हैं। इसमें पेंच केवल यह है कि मण्डेन की भविष्यवाणी के लिए पैसा कौन दे। ऐसे में जो संस्थान अध्ययन और अध्यापन का कार्य कर रहे हैं, वे इस क्षेत्र में अच्छा काम कर और करवा सकते हैं।
जवाब देंहटाएंकई विश्वविद्यालयों ने भी ज्योतिष के कोर्स चला रखे हैं, उन्हें अपने शोध कार्यों में मण्डेन को प्रमुखता से रखना चाहिए। ऐसा मेरा मानना है।
कुछ निजी संस्थान भी इस क्षेत्र में अच्छा काम कर सकते हैं। एकल ज्योतिषियों के बूते यह सम्भव नजर नहीं आता।
झोला छाप ज्योतिषियों के कारण लोगो का विश्वास इस ज्योतिष से हट गया ओर असली ज्योतिषियों से भी धीरे धीरे लोग दुर होते जा रहे हे, शायद एक यह भी कारण हो सकता हे,सुनामी के बारे सच मे कही नही पढी भविष्यवाणी, वैसे संगीता जी हर बार भविष्यवाणी करती हे,शायद इस बार विजी होगी.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ओर सुन्दर प्रस्तुति!धन्यवाद
apki agli post kab aa rahi hai
जवाब देंहटाएंराज जी
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहे हैं जब कोई ज्योतिष की बुराई कर रहा होता है तब वह वास्तव में ऐसे ही झोला छाप ज्योतिषियों की बुराई कर रहा होता है। गलती इंसानी होती है और भुगतना विषय को पड़ता है। अर्से से ऐसा ही होता जा रहा है।
प्रेम जी
जवाब देंहटाएंअब फिर से लिखने के लिए सक्रिय हुआ हूं तो अब नियमित रूप से लिखने का प्रयास करूंगा। लम्बे अंतराल ने बहुत से विषय छेड़ दिए हैं। इंतजार कीजिए जल्द ही नई पोस्ट आएगी। हां रोजाना लिखना थोड़ा मुश्किल है।
sidharth ji ye anshik kaalsarp dosh kya hota hai
जवाब देंहटाएंप्रेम जी आंशिक कालसर्प योग कुछ भी नहीं होता है। कालसर्प के बारे में मैंने कुछ समय पूर्व एक लेख भी लिखा था, देखिएगा...
जवाब देंहटाएंhttp://allastrology.blogspot.com/2008/07/blog-post.html
इससे कुछ स्पष्ट हो सकेगा..