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शुक्रवार, जनवरी 25, 2008

कहानी बंदर के सौदागर की

एक जंगल के किनारे एक गांव बसा हुआ था
वहां के लोग खेती करते और अपना जीविकोपार्जन करते थे
एक दिन वहां शहर से एक सौदागर आया
उसने लोगों से कहा कि उसे बंदर चाहिए
लेकिन किसी ने उसकी सुनी नहीं सब अपने काम में लगे रहे
फिर उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले सौ रुपए देगा
गांव के लोगों ने पास के जंगल से खूब सारे बंदर पकडे और सौदागर को सौंप दिए
सौदागर ने लोगों को सौ- सौ रुपए दिए
उसने कहा उसे और बंदर चाहिए
लोगों का रुझान कम हो गया था क्योंकि बंदर आसानी से नहीं मिल रहे थे
अब उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले पांच सौ रुपए देगा
लोगों ने अपना काम छोडकर बंदर ढूंढे और सौदागर को दिए
जल्दी की बंदरों की दूसरी खेप भी आनी बंद हो गई
अब सौदागर ने कहा कि मैं एक बंदर के बदले एक हजार रुपए दूंगा
लोगों ने अपना खेती बाडी का काम छोडकर घने जंगल में जाकर बंदर पकडे
और उन्हें सौदागर को सौंप दिया
जल्दी ही बंदरों की और आवक बंद हुई।
सौदागर ने कहा कि शहर से मांग आई है कि और बंदर चाहिए
मैं अभी शहर जा रहा हूं
वापस आकर और बंदर खरीदूंगा
और एक बंदर के बदले दो हजार रुपए दूंगा
गांव के लोग परेशान थे कि जंगल में बंदर खत्म हो चुके हैं
गांव में बैठे सौदागर के एसिसटेंट ने कहा कि मेरे पास सौदागर के काफी बंदर है
वह अभी शहर में सौदा करने के लिए गया हुआ है
वहां काफी ऊंचे दाम में बंदर बिक रहे हैं
आप लोगों को मैं डेढ हजार रुपए में बंदर दे देता हूं आप लोग सौदागर को दो हजार में बेच देना
लोग राजी हो गए
एसिसटेंट ने सारे बंदर गांव वालों को डेढ-डेढ हजार रुपए में बेच दिए
उस दिन के बाद न तो सौदागर और न ही उसका असिसटेंट गांव में दिखाई दिए
कुछ लोगों ने अपने बंदर वापस जंगल में छोड दिए और कुछ के पास अब भी बंदर पडे हैं
वे लोग सौदागर के लौटने का इंतजार कर रहे हें


कहानी का अंत

नहीं शुरूआत

welcome to the शेयर मार्केट


शेयर बाजार
यहां कुछ भी निम्नतम और उच्चतम नहीं है जब भी मन आए प्रॉफिट बुक कर लो
उतना ही टृेड करो जितना कि फिजिकल में कर सकते हो
मांग के पीछे नहीं बल्कि परफारर्मेंस पर ध्यान दो

यह बात पिछले दिनों मैने आस्था चैनल पर जैन इंटरनेशनल टृेड ऑर्गनाइजेशन
के एक कार्यक्रम में सुनी
सो आपको बता दी कुछ भूल गया
जो याद है हाजिर है
उम्मीद है आपके काम आएगी

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