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शनिवार, अक्टूबर 04, 2025

Astrology, Samudrik Shashtra, Vastu, Tone totke, ank vidha, Tarot card, Ramal, Hasthrekha, Swapna shashtra, feng shui and I ching

ज्‍योतिष, सामुद्रिक शास्‍त्र, वास्‍तु, टोने-टोटके, अंक विद्या, टैरो कार्ड, रमल, हस्‍तरेखा, स्‍वप्‍नशास्‍त्र, फेंगशुई और आई-चिंग
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भविष्‍य कथन के लिए कई तरह की पद्धतियां एक साथ काम कर रही हैं। सूचना तंत्र सुदृढ़ होने के साथ अलग अलग देशों की स्‍थानीय पद्धतियां भी आम लोगों तक पहुंच रही हैं। इसका एक फायदा यह है कि आम जातकों को अधिक विकल्‍प मिलने लगे हैं, लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह है कि लोगों को ये सभी एक ही लगते हैं।

अगर मैं किसी बस या ट्रेन में बैठा हूं, यहां तक कि किसी सार्वजनिक समारोह में भी शामिल होता हूं और किसी को पता चलता है कि मैं ज्‍योतिषी हूं तो लोग पास आते हैं, कुछ देर की इधर उधर की बात के बाद पूछते हैं आप हाथ देखना जानते हैं। मैं विनम्रता से मना कर देता हूं। उन्‍हें खासा आश्‍चर्य होता है कि मुझे हाथ देखना क्‍यों नहीं आता, जबकि मैं तो ज्‍योतिषी हूं। जो बात मैं उन्‍हें विस्‍तार से बताना चाहता हूं, आइए आपके साथ ही शेयर कर लेता हूं... 

ज्‍योतिष की शाखाएं (Branches of astrology)

अगर हम केवल पारम्‍परिक ज्‍योतिष की बात करें, जिसमें कुण्‍डली देखी जाती है, इसके प्रमुख रूप से दो भाग हैं। पहला है जातक कुण्‍डली (Jatak Kundali) और दूसरा है प्रश्‍न कुण्‍डली (Prashna Kundali)। इनमें भी आगे कई तरह के विभाग आएंगे। किसी जमाने में सामुद्रिक शास्‍त्र (Samudrik Shashtra) को जातक कुण्‍डली के साथ ही देखा जाता था। यानी जातक के शरीर के अंग लक्षणों का मिलान उसकी राशि, ग्रह और दशा के अनुसार देखने की परम्‍परा रही है। 

इसके इतर रमल (Ramal) पद्धति प्रश्‍न कुण्‍डली का ही एक भाग है। जो पासों की सहायता से आपके सवाल का हल ढूंढने का प्रयास करती है। हस्‍तरेखा (Hast rekha) सामुद्रिक का एक भाग है। टैरो कार्ड पश्चिमी पद्धति है। इस पद्धति में टैरो कार्ड Tarot card (ये ताश के पत्‍तों की तरह दिखाई देते हैं) के जरिए जातक से उसके सवाल के संबंध में संकेत लिए जाते हैं और ज्‍योतिषी अपने अंतर्ज्ञान (Intution) के आधार पर जातक को जवाब देता है। इसमें गणित का भाग नहीं है। पूरा मामला अंतर्ज्ञान पर आधारित रहता है। 

वास्‍तुशास्‍त्र (Vastu) प्‍लॉटों, भवनों और भवन के भीतर मौजूद सामान का विश्‍लेषण करता है और उन्‍हें निश्चित क्रम में रखे जाने की नसीहत दी जाती है। टोने-टोटके (Tone Totke) किसी भी सूरत में ज्‍योतिष का भाग नहीं है। ज्‍योतिषीय गणनाओं से जब पता चल जाता है कि अमुक जातक का अच्‍छा या खराब समय है, तब इन्‍हें उपचारों के तौर पर इस्‍तेमाल किया जाता है। मूल ज्‍योतिष का टोने-टोटकों से कोई लेन-देन नहीं है। 

टैरो कार्ड की ही तरह अंक विद्या (Ank vidha) भी पश्चिम की देन है। अंकों की बारम्‍बारता के आधार पर अंक ज्‍योतिषी जातक को यह बताने का प्रयास करता है कि अमुक अंक उसके लिए अच्‍छा या बुरा है। इसमें कहीं लॉजिक का समावेश नहीं किया गया है। एक से नौ तक की संख्‍याओं को एक-एक ग्रह भी दे दिया गया है, लेकिन इसका क्रम वह नहीं है जो पारम्‍परिक भारतीय ज्‍योतिष में है। फेंगशुई पूर्व की ही विद्या है। यह चीन से आई है। चीनी सभ्‍यता में वास्‍तु का बड़ा महत्‍व है। वास्‍तु के दोषों को देखने और उन्‍हें दुरुस्‍त करने के लिए चीनी लोग फेंगशुई (Feng shui) का इस्‍तेमाल करते हैं। इसके साथ ही वहां दैनिक कार्य कलापों के रूप में आई-चिंग (I-CHING) से लोग जानने का प्रयास करते हैं कि आज का दिन कैसा जाएगा।

अन्‍य विधियां

इन प्रचलित विधियों के अलावा कई ज्‍योतिषी अन्‍य वैकल्पिक विधियों का भी प्रयोग करते हैं। मसलन स्‍वप्‍नशास्‍त्र (Swapna Shashtra), नारियल में देखकर भविष्‍य बताना, चाय के कप में शेष रही पत्तियों को देखकर भविष्‍य बताना, साइकिक रीडिंग (Psychic reading), आसमान में उड़ रही चीलों को देखकर भविष्‍य बताना (इस विधा के लोग अब नहीं मिल रहे हैं), पुराने पहने हुए कपड़े सूंघकर भविष्‍य बताना, कौडि़यां गिनकर भविष्‍य बताना और हां, क्रिस्‍टल बॉल (Crystal ball)। इसे तो आपने फिल्‍मों में भी देखा होगा।

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