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गुरुवार, फ़रवरी 14, 2008

शेयर बाजार की हताशा- ज्‍योतिषीय दृष्टिकोण

वैश्विक मंदी के साथ ही भारतीय शेयर बाजार में भी जोरदार गिरावट का दौर चल रहा है। कुछ लोग इसे करेक्‍शन कह रहे हैं तो कुछ लोगों के लिए यह विदेशी निवेशकों की साजिश भी है। बाजार की गिरावट के दौरान की दो दिन पहले मैंने कहा कि 18 फरवरी से बाजार में सुधार होना शुरू हो जाएगा। बाजार में सुधार इतनी जल्‍दी? यहां हर कोई यह कह रहा है कि बाजार को सुधरने में कम से कम दो महीने लगेंगे। वहां चार से छह दिन की मोहलत का क्‍या मायने रखती है।
हर तरफ से एक ही तरह के कयास आ रहे हैं तो मुझे अपने फलादेश पर एक बार फिर सोचना पडा।
पिछली बार मैंने किसी अन्‍य के प्रश्‍न की प्रश्‍नकुण्‍डली बनाकर उत्‍तर तलाश करने की कोशिश की। पूछने वाले जातक पर भी संदेह नहीं किया जा सकता। ऐसे में ज्‍योतिषीय दृष्टिकोण का क्‍या होगा।
मेरी सोच यह है कि अठारह तारीख को चंद्रमा और मंगल का साथ बाजार को तेजी से ऊपर लेकर जाएगा।गिरावट के दौर में एक बार बाजार को सुधरने देने के मौके की जरूरत है। पिछले कुछ समय से बाजार के उतार चढाव से वाकिफ हो चुके युवाओं ( नए खिलाडियों) को भी इसी घुमाव का इंतजार है। एक बार बाजार की रौ बदली कि छोटे निवेशकों का ताबडतोड निवेश फिर से शुरू हो जाएगा।
कुछ समय पहले एक सटोरिए के यहां बैठा था तो उसने अपने भतीजे से कहा कि तेरा मन क्‍या कहता है तो भतीजा बोला ऊपर में बेचूं और नीचे खरीदूं का मन हो रहा है। सटोरिए ने अपने भतीजे के कान उमेठते हुए कहा कि अगर इतना भी मन से होता है तो बाकी की गणना के लिए मुझे किसी और को रखना पडेगा।
बाजार का कायदा है गिरा हुआ हो तो माल तेजी से खरीदो और तेजी आए तो बेचो। इस तरह की गिरावट के बाद अब तेजी आनी चाहिए। कई काले सोमवार गुजर चुके हैं। इस बीच पहली बार सार्वजनिक रूप से मैंने शेयर बाजार के बारे में निर्णय दिया है। गणेशजी की कृपा रही तो इस बार का सोमवार लोगों के लिए कई खुशियां लेकर आएगा।
पोंगे पंडितों के ब्‍लॉगिंग में प्रवेश और शेयर बाजार के विश्‍लेषण में घुसपैठ की बात फिर कभी...
सिद्धार्थ, बीकानेर

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